42 वें वार्षिक अधिवेशन में डाॅ. रामजी सिंह को किया गया आमंत्रित - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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23 फ़रवरी 2021

42 वें वार्षिक अधिवेशन में डाॅ. रामजी सिंह को किया गया आमंत्रित

मधेपुरा: आगामी 05-07 मार्च तक आयोजित होने जा रहे दर्शन परिषद्, बिहार के 42 वें वार्षिक अधिवेशन में पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं गाँधीवादी दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. रामजी सिंह (95 वर्ष) को भी आमंत्रित किया गया है. वे अधिवेशन के दौरान आयोजित 'बिहार की दार्शनिक एवं सांस्कृतिक विरासत' विषयक संगोष्ठी की ऑफलाइन/ऑनलाइन अध्यक्षता करेंगे. 

आयोजन सचिव सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने को पटना जाकर डाॅ. सिंह से मुलाकात की और उनकी सहमति एवं शुभकामना संदेश प्राप्त किया. मालूम हो कि गत वर्ष भारत सरकार ने डाॅ. सिंह को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है और इसके बाद यह उनका मधेपुरा का पहला दौरा होगा. डाॅ. सिंह का बीएनएमयू से काफी लगाव है. आप पिछले चार वर्षों में कई बार मधेपुरा आए.  
आपने जुलाई 2017 में नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए आयोजित इंडक्सन प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था. उसी बार आपने राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास में 'गाँधी और अंबेडकर' विषय पर व्याख्यान दिया था और प्रांगण रंग मंच द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे. दूसरी बार आप अगस्त 2017 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आधुनिक सभ्यता का संकट और गाँधीय समाधान विषयक व्याख्यान देने आए थे. 

तीसरी बार अप्रैल 2018 में आप इसी महाविद्यालय में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित भारतीय दर्शन दिवस पर आयोजित आधुनिक सभ्यता का संकट और वेदांती समाधान विषयक व्याख्यान में आए थे. गत वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण दर्शन परिषद् का सम्मेलन स्थगित हो गया था, जिसके कारण आपका मधेपुरा आगमन नहीं हो सका था.  
लेकिन इस बार ऑफलाइन/ ऑनलाइन मोड में ही सही मधेपुरावासियों को आपके ओजस्वी विचार सुनने को मिलेगा. डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. रामजी सिंह भागलपुर लोकसभा के सांसद और जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनू के कुलपति रहे हैं. इन्होंने अपने छात्र जीवन में ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आह्वान पर सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था और तब से वे निरंतर सर्वोदय एवं सामाजिक परिवर्तन के कार्यों में लगे हुए हैंं. 

दर्शनशास्त्र का शिक्षक रहते हुए आपने 1974 ई. में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भाग लिया था. सन 1980 ई. में आपके प्रयासों से तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में दुनिया के पहले स्नातकोत्तर गाँधी विचार विभाग की स्थापना हुई. आपने गाँधी-दर्शन पर कई पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया है. इनमें गाँधी विचार, गाँधी दर्शन मीमांसा, गाँधी की प्रासंगिकता, गाँधीयन विजन, गाँधी एंड फ्यूचर ऑफ ह्यूमेनिटी, गाँधी एंड द ट्वेन्टी फर्स्ट सेंचुरी आदि प्रमुख है. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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