मधेपुरा: शिक्षा हर प्रकार से सर्वश्रेष्ठ की आदर्श छवि का आईना होता है. ऐसे परिसर में गलत तरीके से पद धारण करना और उसका अवैध लाभ लेना अपने आप में बड़ा अपराध है. उक्त बातें छात्र संगठन एआईएसएफ के राज्य उपाध्यक्ष सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने अंबिका उपेंद्र इंटर महाविद्यालय मुरलीगंज के प्राचार्य के खिलाफ जिला शिक्षा पदाधिकारी के नाम लिखे आवेदन कार्यालय को सौंपने के बाद कहीं.
लिखे आवेदन में उन्होंने कहा कि प्राचार्य प्रो संतोष कुमार को मनोविज्ञान विभाग में 15 नवम्बर 1987 को नियुक्ति पत्र मिला और अगले दिन 16 नवम्बर 1987 को उन्होंने काम करना शुरू किया. व्याख्याता पद ग्रहण करते वक़्त उनकी शैक्षणिक योग्यता बीए थी. पद ग्रहण के दो वर्ष बाद 1989 में उन्होंने एमए पास किया ऐसे में बिना योग्यता के शासी निकाय व प्रबन्ध समिति को झांसा दे गलत तरीके से काम करते हुए सरकार से लाखों का अनुदान भी प्राप्त किया.
खास बात यह भी है कि इंटर व बी ए में उनकी डिग्री तृतीय श्रेणी की भी है. आरोपों के साक्ष्य के रूप में एआईएसएफ नेता राठौर ने मो मुस्ताक आजाद द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जवाब पर कॉलेज द्वारा भेजे जवाब को भी समर्पित करते हुए मांग किया कि इस पर तुरन्त संज्ञान लेते हुए कड़े कदम उठाएं जाएं जिससे दोषी पर सख्त कार्रवाई हो और महाविद्यालय की छवि धूमिल न हो.
एआईएसएफ के संयुक्त जिला सचिव सौरभ कुमार ने कहा कि दुखद है कि आए दिन शैक्षणिक केंद्र भी धांधली व धोखाघरी का केंद्र बनता जा रहा है. प्राइमरी स्कूल से विश्वविद्यालय तक व्यापक स्तर पर खामियां है जिसके निदान को एआईएसएफ लगातार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जवाब में बड़े स्तर पर धांधली की बात सामने आई है ऐसे और भी कई मामले हैं संगठन सबको संकलित कर बड़े स्तर पर पहल की योजना भी बना रहा है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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