मधेपुरा: यातायात नियमों की अनदेखी के कारण होने वाले हादसों में प्रति वर्ष सैकड़ों लोगों की मौत होती है. हजारों लोग घायल होते हैं. फिर भी लोग यातायात नियमों के प्रति जागरूक नहीं हो रहे हैं. इन्हें न तो ट्रैफिक नियमों की परवाह है और न ही खुद की जान की चिंता. हैरत की बात यह कि पुलिसकर्मी ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. आए दिन शहर की सड़कों पर आमजन के साथ ही पुलिसकर्मियों को भी ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करते दिख जाएगा.
बता दें कि सुरक्षित यातायात को लेकर बनाए गए नियमों को बहुत से वाहन चालक हल्के में लेते हैं. यातायात नियमों की जानकारी व संकेतकों की जानकारी के लिए परिवहन विभाग की ओर से समय- समय पर प्रशिक्षण और नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका कोई खास लाभ होता नहीं दिख रहा. चौराहा, तीव्र मोड़, घनी आबादी वाला संकेतक लगाए जाने के बावजूद बहुत से वाहन चालक न तो वाहन की रफ्तार धीमी करते हैं और न ही तीव्र मोड़ पर सवाधानी से गाड़ियां निकालते हैं.
जिले में सुरक्षित आवागमन और परिचालन को लेकर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम के साथ- साथ जिला और प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक में भी रणनीति तय की गयी. एनएच, एसएच या फिर अन्य सड़कें सभी निर्धारित जगहों पर संकेतक, आदेशात्मक और सचेतक चिन्ह का बोर्ड लगाने की अनिवार्यता तय की गयी है. इसके लिए रोड डिवीजन पदाधिकारियों को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया है.
इसके अलावा सभी वाहनों में रिफ्लेक्टर लगाने की बाध्यता भी तय की गयी है. बताया गया कि सभी वाहनों में सामने उजला और पीछे लाल रिफ्लेक्टर लगाया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके अलावा सवारी गाड़ियों में आगे- रिफ्लेक्टर के साथ- साथ दोनों तरफ पीला पट्टी का रिफ्लेक्टर भी लगाना जरूरी हो गया है. हालांकि जिले में सड़कों पर संकेतक चिन्ह कहीं- कहीं नजर आते हैं.
परिवहर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले संबंधित आवेदकों से संकेतक चिन्ह से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं. एमवीआई राकेश कुमार ने बताया कि आवेदकों के समक्षविधिवत संकेतक चिन्ह प्रदर्शित कर उसके बारे में जानकारी भी मांगी जाती है. इसके बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है.
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