मधेपुरा: स्थापना के तीन दशक पूरा करने जा रहा बीएनएमयू स्थापना काल से नए नए विवादों का केंद्र बन कर रह गया है. शैक्षणिक माहौल व उपलब्धि हमेशा से पहुंच से दूर रहा. शिक्षा विभाग द्वारा 44 शिक्षेकतर कर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी होना बीएनएमयू के लिए बहुत दुखद है इससे जहां वरीय पदाधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है.
स्थापना के ढाई दशक बाद 15 नवम्बर 2019 में कर्मियों की सेवा पुष्टि हुई थी मात्र दो साल के अंदर 44 कर्मियों के शिक्षा विभाग द्वारा सेवा समाप्त करने से इनके परिवार को एकाएक सड़क पर आने की नौबत आ गई है. ये बाते वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के प्रांतीय नेता हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने शिक्षा विभाग द्वारा बीएनएमयू के 44 कर्मियों की सेवा समाप्त कर देने के आदेश पर संगठन की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा.
उन्होंने कहा कि एआईएसएफ इसके लिए विश्वविद्यालय के वरीय पदाधिकारियों के अनैतिक फैसलों को इसका कारण मानती है. शिक्षा विभाग के उप सचिव अरशद फिरोज के हस्ताक्षर से जारी आदेश में सेवा समाप्ति का कारण शिक्षा विभाग द्वारा सौ बिंदुओं पर तय शर्तों का उल्लंघन बताया गया है. छात्र नेता राठौर ने कहा कि पूरा समय मिलने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमियों को दूर करने और कर्मियों की नौकरी बचाने की ईमानदार पहल नहीं की.
अगर समय पर पहल होती और कागजी कार्यवाही दुरुस्त होती तो विश्वविद्यालय के सामने इतनी विकराल समस्या नहीं आती. उन्होंने कहा कि एक ओर वरीय पदाधिकारियों द्वारा कागजी कार्रवाई पूरा नहीं करना दूसरी ओर आंदोलित कर्मियों के मांगों को पूरा करने का ढांढस देना दोहरे चरित्र को दिखाता है. एआईएसएफ इस विषम दौर में कर्मियों के साथ खड़ा है.
एआईएसएफ नेता सौरभ कुमार ने कुलपति से मांग किया इस सम्बन्ध वो कोई बीच का रास्ता निकाल कर्मियों के भविष्य को बर्बाद होने से बचाएं जिससे विश्वविद्यालय के कामकाज पूरी तरह ठप होने से रोका जा सके, वरना संगठन राजभवन व सरकार से पत्राचार कर उच्च स्तरीय जांच की मांग करेगी और आंदोलन भी.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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