सुप्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल का निधन - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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28 अप्रैल 2021

सुप्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल का निधन

सुप्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल का बुधवार को निधन हो गया. वे 73 वर्ष के थे. उनका जन्म मधेपुरा जिले के आलमनगर थाना अंतर्गत कपसिया-परेल गाँव में एक जनवरी 1948 को हुआ था. उन्होंने प्रतिष्ठत टी. एन. बी. महाविद्यालय, भागलपुर से इंटरमीडिएट एवं स्नातक प्रतिष्ठा (दर्शनशास्त्र) और तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर से स्नातकोत्तर (दर्शनशास्त्र) एवं पी-एच. डी. (दर्शनशास्त्र) की डिग्री प्राप्त की थीं. सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर नित्यानंद मिश्र उनके शोध-निदेशक एवं आदर्श थे. 

प्रोफेसर मंडल लंबे समय तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे. साथ ही वे वहाँ विश्वविद्यालय गाँधी विचार विभाग के अध्यक्ष और मानविकी संकायाध्यक्ष भी थे. प्रोफेसर मंडल का नाम दर्शन परिषद्, बिहार को गति देने वाले महानुभावों में अग्रगण्य है. वे कई वर्षों तक दर्शन परिषद्, बिहार के अध्यक्ष रहे और संप्रति संरक्षक की भूमिका में थे. वे दर्शन परिषद्, बिहार के एक अधिवेशन में धर्म दर्शन विभाग के अध्यक्ष और सामान्य अध्यक्ष भी रह चुके थे.  

उन्होंने अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के विभिन्न अधिवेशनों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई थीं और वे लखनऊ अधिवेशन के सामान्य अध्यक्ष भी रह चुके थे. प्रोफेसर मंडल शोध-पत्रिका दर्शना एवं सफाली जर्नल ऑफ सोशल रिसर्च के परामर्श मंडल के सदस्य थे. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके दर्जनों शोध आलेख प्रकाशित हुए हैं. उन्होंने "दार्शनिक विमर्श" (प्रोफेसर नित्यानंद मिश्र स्मृति ग्रंथ) का संपादन भी किया है. उनको हाल ही में संपन्न हुए दर्शन परिषद्, बिहार के 42वें अधिवेशन में लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था. 


वे दर्शन-जगत के उन गिने-चुने लोगों में थे, जिनका भारतीय दर्शन के साथ-साथ पाश्चात्य दर्शन पर भी समान अधिकार था. उनके निधन से पूरे शिक्षा जगत और विशेषकर दर्शन-परिवार को अपूर्णीय क्षति हुई है. प्रोफेसर मंडल के शिष्य एवं बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि अपने गृहजिले के इस विश्वविद्यालय से प्रोफेसर मंडल का गहरा लगाव था. वे यहाँ के किसी भी आमंत्रण को अस्वीकार नहीं करते थे. वे दर्शनशास्त्र विभाग के विभागीय कार्य से बराबर मधेपुरा आते रहते थे.  

प्रोफेसर मंडल अंतिम बार एक माह पूर्व 25 मार्च, 2021 को विश्व दर्शन दिवस पर केंद्रीय पुस्तकालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में आए थे. इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा, समाज एवं नैतिकता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया था. साथ ही उन्होंने उसी दिन आयोजित एक समारोह में स्थानीय रंगकर्मियों एवं कलाकारों को सम्मानित भी किया था और काफी प्रेरणादायी उद्बोधन दिया था. इसके कुछ दिनों पूर्व ही 5-7 मार्च तक ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में आयोजित दर्शन परिषद् के अधिवेशन में उन्होंने तीनों दिन पूरी तल्लीनता के साथ भाग लिया था. अधिवेशन की चिंतनधारा 'शिक्षा, समाज एवं संस्कृति' पर उनका एक विशेष व्याख्यान भी हुआ था. 


प्रोफेसर मंडल ने वर्ष 2019 में विश्वविद्यालय के नए परिसर में आयोजित भारतीय दार्शनिक दिवस समारोह में और 2018 में भी उन्होंने टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा में आयोजित एक व्याख्यानमाला में भी व्याख्यान दिया था. उनकी वक्तृत्वशैली प्रभावोत्पादक थी. वे तर्कपूर्ण एवं सिलसिलेवार ढंग से बोलते थे, जिसका श्रोताओं पर गहरा असर होता है.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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