महीनों बाद जारी सूची पर विश्वविद्यालय को ही नहीं विश्वास, तभी तो मांगी जा रही आपत्ति: एआईएसएफ - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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13 अप्रैल 2021

महीनों बाद जारी सूची पर विश्वविद्यालय को ही नहीं विश्वास, तभी तो मांगी जा रही आपत्ति: एआईएसएफ

मधेपुरा: बीएनएमयू लगातार अपनी लचर व्यवस्था और प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी के कारण छात्रों को परेशान करने व उनके शोषण का अड्डा बनता जा रहा है।बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन से जुड़े विवादों का निपटारा अभी हुआ नहीं कि एम एड में होने वाली धांधली व छात्रों के शोषण की बू आनी शुरू हो गई. उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के प्रांतीय नेता राठौर ने कही. 

उन्होंने कहा विश्वविद्यालय द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार एमएड के सौ सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया विगत वर्ष एक दिसम्बर को शुरू करना था लेकिन छात्र हित में अपनी लापरवाही व लेट लतीफी के लिए चर्चित बीएनएमयू ने रिजल्ट जारी करने व सूची प्रकाशित करने में परीक्षा के बाद साढ़े चार महीने से ज्यादा का समय लगा दिया उसमें भी कई विवादों को जोड़कर. छात्रों के लगातार मांग के बाद परीक्षा के चार माह बाद भी आंसर की जारी नहीं होना जहां रिजल्ट में बड़े उलटफेर की शंका को जन्म देता है वहीं लंबा समय लेकर सूची जारी करने के बाद भी आपत्ति मांगना दर्शाता है अंक व आरक्षण रोस्टर के पालन में विश्वविद्यालय को खुद पर भी विश्वास नहीं है.  
दूसरी ओर आपत्ति जमा करने की आखिरी तारीख चौदह अप्रैल तक तय की गई है लेकिन कर्मचारियों के लगातार हड़ताल पर रहने के कारण सभी विभागों में ताले लगे हैं और छात्र चाहकर भी अपनी आपत्ति जमा नहीं कर पा रहे हैं जो दुखद है. एआईएसएफ नेता राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि बीएनएमयू को अपने रवैए में सुधार लाना होगा वरना छात्रहित में विश्वविद्यालय एक बार फिर आंदोलन का रणक्षेत्र बन जाएगा. 

एआईएसएफ नेता सौरभ कुमार ने कहा कि बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण में जांच टीम के लगातार शिथिल होने और साक्ष्य उपस्थित होने पर भी कोई पहल नहीं करना, आश्वाशन के बाद संगठन की टीम व पीड़ित छात्रों को जांच टीम द्वारा अपनी बात रखने का समय नहीं देना दुखद है दूसरी ओर बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन में जमकर किए गए भाई भतीजावाद को एमएड नामांकन में भी दोहराने की साजिश कोरोना के आड़ में रची जा रही है जिसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. 

उन्होंने कुलपति से मांग किया कि वो दबाव में फैसले लेने के बजाय स्वतंत्र रूप से छात्र व विश्वविद्यालय हित में फैसले लें अन्यथा कोरोना के दौर में भी छात्र हित के लिए एआईएसएफ आंदोलन को विवश होगा. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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