स्थापना के चार दशक बाद भी मधेपुरा का गजेटियर नहीं छपना दुखद: राठौर - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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12 मई 2021

स्थापना के चार दशक बाद भी मधेपुरा का गजेटियर नहीं छपना दुखद: राठौर

मधेपुरा: गजेटियर किसी भी जिला का आईना और उसको जानने का सर्वाधिक प्रमाणित दस्तावेज होता है जिसके सहारे सरकार को भी उस जिले के लिए विकास का प्रारूप तैयार करने में वृहद स्तर पर सुविधा व मार्गदर्शन मिलता है. ये बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के प्रांतीय नेता हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने विगत दिनों ही जिला स्थापना के चार दशक पूरा करने वाले मधेपुरा के पास अपना गजेटियर नहीं होने पर इसके प्रकाशन की पहल की मांग करते हुए कही. 

उन्होंने कहा कि जिला को अपना गजेटियर प्रकाशित करने को लेकर बिहार सरकार के राजस्व एवम् भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव ने वर्ष 2016 से ही डीएम को कई पत्र लिख प्रकाशन करवाने की मांग की,लेकिन जिला प्रशासन ने इसको लेकर कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई जो अपने आप में कई सवालों को जन्म देता है. एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि इससे सरकार को वित्तीय वर्ष में फैसले लेने में भी बहुत मदद मिलती है. मधेपुरा में विश्वविद्यालय है जहां बड़ी संख्या में छात्र जिले से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध करते हैं गजेटियर प्रकाशित होने पर स्थानीय स्तर के विषयों पर शोध को भी बड़ा प्रमाणिक आधार मिलेगा.  
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अगर इसको लेकर कारगर कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में यह और कठिन हो जाएगा क्योंकि वर्तमान पीढ़ी में जिले से जुड़ी जानकारी व साहित्य सृजन में रुचि रखने वालों की संख्या बहुत कम है और जिनके पास जिले से जुड़ी जानकारी व साहित्य सृजन का अनुभव है उनकी संख्या बड़ी तेजी से कम होती जा रही है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर जिले के सक्रिय साहित्यकारों से संपर्क कर लगातार वो पहल की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोसी में मधेपुरा एकमात्र जिला है जिसके पास अपना गजेटियर नहीं है. 

उन्होंने कहा कि सरकार ने पत्र के साथ उन्नीस अध्याय और इसके अन्तर्गत दर्जनों बिंदुओं पर काम करने की रूप रेखा भी भेजी थी जिससे प्रकाशन और आसान हो जाएगा।उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन इसको लेकर अगर दिलचस्पी दिखाती है तो जिले के परिचय से जुड़ा एक बड़ा आधार तैयार होगा. इसको लेकर साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों से लगातार संपर्क कर पहल की मांग की जा रही है. एआईएसएफ नेता सौरभ कुमार ने कहा कि जिला पदाधिकारी को भी इसको लेकर काम शुरू करना चाहिए क्योंकि सरकारी फरमान होने के कारण इसमें किसी प्रकार का अड़चन भी नहीं रहेगा. 

वहीं उन्होंने बीएनएमयू कुलपति से भी मांग किया कि इसको लेकर अपने स्तर से डीएम से पहल करें क्योंकि इससे विश्वविद्यालय को भी कई फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में संगठन को मधेपुरा डीएम से पहल की उम्मीद है वो लगातार सृजनात्मक पहल को तत्पर हैं. उन्होंने अन्य स्तरों पर भी इसको लेकर पहल कि मांग की. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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