मानव जीवन को सुखमय बनाने में वैज्ञानिक शोध का महत्वपूर्ण योगदान: कुलपति - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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17 जून 2021

मानव जीवन को सुखमय बनाने में वैज्ञानिक शोध का महत्वपूर्ण योगदान: कुलपति

मधेपुरा: विज्ञान ने मानव-जीवन को सुखमय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आज हम विज्ञान के विभिन्न आविष्कारों से काफी लाभान्वित हो रहे हैं. विभिन्न वैज्ञानिक शोधों ने हमें महामारियों से लड़ने की भी ताकत दी है. यह बात कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही. वे बुधवार को विज्ञान संकाय, बी. एन.  मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के स्नातकोत्तर गवेषणा परिषद् (पीजीआरसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. 


कुलपति ने कहा कि मानव-समाज विज्ञान का ॠणि है. विज्ञान ने हमारे जीवन की कठिनाइयों को कम किया है और आज हमें प्रगति के इस मुकाम तक पहुंचाया है. कुलपति ने कहा कि विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान है. लेकिन जब हम इसका गलत इस्तेमाल करते हैं, तो विज्ञान हमारे लिए अभिशाप बन जाता है. विज्ञान के कई आविष्कार आज मानव एवं चराचर जगत के लिए विनाशकारी साबित हो रहे हैं. आज  विज्ञान एवं प्रौद्योगिक की अंधाधुंध प्रगति ने प्रकृति-पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है और अणुबम जैसे आविष्कारों से हमारे अस्तित्व के लिए ही खतरा उत्पन्न हो गया है.  

कुलपति ने कहा कि विज्ञान के शोध को आम लोगों के सापेक्ष करने की जरूरत है. हम वैसे वैज्ञानिक शोधों को बढ़ावा दें, जिससे आम लोगों का लाभ हो और प्रकृति-पर्यावरण सुरक्षित रहे. कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि विश्वविद्यालय विकास के पथ पर अग्रसर है और यहाँ शोध गतिविधियों को गति देने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय में शोध का बेहतर माहौल बनेगा और इसमें सबों की भागीदारी सुनिश्चित होगी. 


बैठक में विभागीय शोध परिषद् द्वारा अनुशंसित एवं संकायाध्यक्ष द्वारा अनुमोदित पी-एच. डी. शोध से संबंधित कुल 92 प्रस्तावों पर चर्चा हुई. इनमें जंतु विज्ञान के 39,  रसायनशास्त्र के 19, वनस्पति विज्ञान के 17,  गणित  के 9 एवं भौतिकी के 8 प्रस्ताव थे. जंतु विज्ञान में  नया 23 एवं  पुराना 16, रसायनशास्त्र में नया 16 एवं पुराना 3 और वनस्पति विज्ञान में नया 11 एवं पुराना 6 मामला था. भौतिकी में कोई भी पुराना मामला नहीं था.  

बैठक में विभागीय शोध परिषद् (डीआरसी) से पारित और संकायाध्यक्ष से अनुमोदित नए शोध- प्रस्तावों पर विशेष रूप से चर्चा हुई. प्रायः सभी नए प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इन नए शोधार्थियों का पीएटी-2019 के तहत पी-एच. डी. कोर्स वर्क में नामांकन हुआ है और ये नामांकन की तिथि से न्यूनतम तीन वर्षों के बाद शोध-प्रबंध जमा कर सकेंगे. 


बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगे विश्वविद्यालय में जमा किए जाने वाले सभी पी-एच. डी. शोध-प्रबंधों में एकरूपता रहेगी। इस संदर्भ में प्रति कुलपति की अध्यक्षता में गठित कमिटी द्वारा आवश्यक निर्णय लिया जाएगा। यह कमिटी सभी शोध-प्रबंधों के लिए एक समान टाइपिंग, बाइंडिंग, टाइटल स्टाइल एवं कवर पेज  आदि का प्रारूप तय करेगी। साथ ही सभी शोधार्थियों के घोषणापत्र, शोध-निदेशक के प्रमाणपत्र एवं विभागाध्यक्ष के प्री-सब्मिशन सर्टिफिकेट का प्रारूप भी निर्धारित किया जाएगा. 


बैठक में लिए गए निर्णयानुसाथ शोध-प्रबंध को अवार्ड हेतु जमा करने के पूर्व प्लैग्रिज्म जाँच से गुजारा जाएगा. इसके लिए प्रत्येक विभाग एवं विश्वविद्यालय स्तर पर भी एक कमिटी बनेगी. विश्वविद्यालय के प्लैग्रिज्मम डिटेक्शन सेंटर को पुनः चालू किया जाएगा. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगे सभी शोध-प्रारूपों को विश्विविद्यालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा. शोध-प्रबंध को भी विश्वविद्यालय वेबसाइट एवं इन्फलिवनेट पर भी दिया जाएगा.  

बैठक में पुराने शोधार्थियों का अधिकांश मामला पी-एच. डी. शोध-प्रबंध जमा करने हेतु अवधि विस्तारण का था. वैसे सभी शोधार्थी, जिनके शोध-प्रबंध जमा करने की अवधि मार्च 2020 या उसके बाद समाप्त हुई है, उनके पी-एच. डी. शोध-प्रबंध जमा करने की अवधि यूजीसी के दिशानिर्देशों के आलोक में 31 दिसंबर, 2021 तक विस्तारित की गई है. 


बैठक में विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. अशोक कुमार यादव, डाॅ. अरूण कुमार यादव, डाॅ. अरूण कुमार खाँ, डाॅ. अरूण कुमार, डाॅ. संजीव कुमार, डाॅ. नरेश कुमार, डाॅ. सूर्यमणि कुमार, डाॅ. उमाशंकर चौधरी, डाॅ. नरेंद्र श्रीवास्तव, डाॅ. मनोज कुमार मनोरंजन, डाॅ. अशोक, डाॅ. अमरनाथ चौधरी, डाॅ. अनिल कुमार,  डाॅ. देवेन्द्र प्रसाद सिंह, डाॅ. पंकज कुमार, डाॅ. अशोक कुमार, डाॅ. गौरीशंकर महतो, डाॅ. कामेश्वर कुमार, डाॅ. रमेश कुमार, कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, निदेशक (अकादमिक) डाॅ. एम. आई. रहमान एवं उपकुलसचिव (अकादमिक) डाॅ. सुधांशु शेखर उपस्थित थे. 


डाॅ. शेखर ने बताया कि शनिवार, सोमवार एवं मंगलवार को क्रमशः वाणिज्य संकाय, सामाजिक विज्ञान संकाय एवं मानविकी संकाय के पीजीआरसी की बैठक संपन्न हो चुकी है. बुधवार को विज्ञान संकाय की बैठक के साथ ही पीजीआरसी की वर्तमान प्रक्रिया पूरी हो गई. आगे पीजीआरसी के कार्यवृत के आधार पर शोधार्थियों के पंजीयन का कार्य होगा. उन्होंने  पीजीआरसी की बैठकों  के सफल आयोजन हेतु अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों के प्रति साधुवाद व्यक्त किया है.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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