गाँधी का संपूर्ण जीवन एक संदेश है: कुलपति - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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29 जुलाई 2021

गाँधी का संपूर्ण जीवन एक संदेश है: कुलपति

मधेपुरा: गाँधी एक व्यक्ति मात्र नहीं हैं, बल्कि वे एक विचार हैं- एक दर्शन हैं. उनका संपूर्ण जीवन ही संदेश है. यदि हम उनके आदर्शों का एक अंश भी अपने जीवन में अनुकरण कर लें, तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा. यह बात भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही. वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में 28 जुलाई (बुधवार) को गाँधी चले विद्यार्थियों की ओर कार्यक्रम में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय, नई दिल्ली और नेशनल बैकवार्ड क्लास फाइनेंस एंड डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन (एनबीसीएफडीसी), नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित किया गया. 

कुलपति ने कहा कि गाँधी के जीवन-दर्शन में देश-दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है. उनके दर्शन को अपनाकर हम गरीबी, बेरोजगारी, विषमता, हिंसा, आतंकवाद, पर्यावरण-संकट आदि का समाधान कर सकते हैं. कुलपति ने कहा कि गाँधी ने भगवद्गीता, कुरान, बाइबिल आदि सभी धर्मग्रंथों का अध्ययन किया था और इनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था. उनका जीवन भी एक धर्मग्रंथ की तरह है, जिसमें सभी धर्मग्रंथों का सार निहित है. राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय के निदेशक ए. अन्नामलाई ने कहा किदेश में आजादी की अलख जगाने वाले महात्मा गांधी ऐसे दूरदर्शी महापुरुष थे. उनके सत्य, अहिंसा एवं सत्याग्रह आदि मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं. 
इन्हें आज के संदर्भ में युवाओं को बताने की आवश्यकता है. गाँधी सदैव युवाओं के एक रोल मॉडल रहे हैं. महात्मा गांधी ने दुनिया के इतिहास में पहली बार शांतिपूर्ण तरीके से यानी अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को बहुप्रतीक्षित आजादी दिला दी. यह एक युगांतकारी घटना थी. यह निश्चित रूप से मानव जाति के इतिहास में महात्मा गांधी का अविस्मरणीय योगदान है. एनबीसीएफडीसी के पूर्व प्रबंध निदेशक के. नारायण ने कहा कि गाँधी-विचार को आज युवाओं के बीच ले जाने की जरूरत है. युवा गाँधीवादी मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में योगदान दें. 

उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित करें. किसी बने बनाए रास्ते पर ना चल कर अपना रास्ता खुद तय करें. हिंदी विभाग की अध्यक्ष डाॅ. वीणा कुमारी ने कहा कि महात्मा गाँधी भारत के चमकते रत्नों में एक हैं. वे न केवल भारत, वरन् पूरी दुनिया के लिए प्रकाशपुंज हैं. उनके विचार एवं कार्य हमेशा प्रासंगिक हैं. उन्होंने कहा कि गाँधी के विचार आज भी जिंदा हैं. उनके संबंध में आइंस्टाइन ने बिल्कुल सही कहा था कि आने वाली पीढ़याँ बड़ी मुश्किल से यह विश्वास कर सकेंगी कि गाँधी जैसा हाड़ मांस का कोई पुतला इस धरती पर चला था. संग्रहालय के क्यूरेटर अंसार अली ने कहा कि बिहार ने ही मोहन को महात्मा बनाया.  
यदि गांधी चंपारण नहीं जाते, तो महात्मा गाँधी नहीं बनतेे. उन्होंने बिहार के चंपारण से ही भारत में अपने सत्याग्रह आंदोलन की शुरूआत की. उन्होंने वहाँ चंपारण के किसानों के दुख-दर्द को समझा और अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता एवं आतंक का विरोध किया. प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने बताया कि गाँधी संग्रहालय द्वारा इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु देश के चालीस संस्थानों में बिहार से एकमात्र ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय का चयन किया गया था. अतिथियों का स्वागत दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर (आयोजन सचिव) ने किया. कार्यक्रम का संचालन संग्रहालय की दीपावली उजलायन एवं धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की कुंमारी मोक्षदा ने किया. 

इस अवसर पर अर्थपाल डाॅ. ए. के. मल्लिक, सिंडिकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. मनोज कुमार, एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. स्वर्ण मणि, एनसीसी ऑफिसर लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार, उप क्रीड़ा सचिव डाॅ. शंकर कुमार मिश्र, डाॅ. विजया, दीपक राणा, डाॅ. रोहिणी, डाॅ. प्रकृति राय, डाॅ. मिथिलेश कुमार सिंह, डाॅ. कुंदन कुमार सिंह, डाॅ. शहरयार अहमद, डाॅ. गौरब श्रीवास्तव, डाॅ. राकेश कुमार, डाॅ. सुभाष पासवान, डाॅ. राजकुमार रजक, सीनेटर रंजन यादव, शोधार्थी द्वय सौरभ कुमार एवं सारंग तनय, काउंसिल मेम्बर द्वय माधव कुमार एवं दिलीप कुमार दिल, आनंद कुमार भूषण, सौरभ कुमार चौहान, डेविड यादव, नीतीश कुमार, शांतनु यदुवंशी आदि उपस्थित थे.  गाँधी की विरासत से परिचित हुए युवा

गाँधी चले विद्यार्थियों की ओर कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की विरासत से परिचित कराना था. कार्यक्रम की शुरूआत गाँधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाण रे ...' से हुई. इसके अलावा ऑनलाइन गाँधी-कथा सुनाई गई और गाँधी के जीवन से संबंधित स्लाइड-शो दिखाया गया. साथ ही सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं सहभागियों को ऐतिहासिक राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय का वर्चुअल सैर कराया गया और गाँधी से संबंधित दुर्लभ चित्र-प्रदर्शनी भी दिखाई गई. इसमें संग्रहालय के अजय कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

ऑनलाइन गाँधी प्रश्नोत्तरी आयोजित

मुख्य कार्यक्रम ऑनलाइन गाँधी प्रश्नोत्तरी (क्वीज) का था। इसमें मुख्य रूप से कुल दस चयनित प्रतिभागी (क्वीज मेम्बरस) ने भाग लिया. इन प्रतिभागियों को पाँच टीमों (क्रमशः सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय एवं करूणा) में बाँटा गया था. इसमें दस प्रतिभागियों के अलावा अन्य चालीस चयनित विद्यार्थी भी सहभागी हुए. इनमें निशा कुमारी, निशु कुमारी, सौरभ कुमार, संयम भारद्वाज, ऋतु राज, सुरज प्रताप, हिमांशु कुमार, मो. अलाउद्दीन, अंकित कुमार, ज्योतिष कुमार, प्रभाष कुमार, मेघा कुमारी, आशुतोष आनंद, विजय कृष्णा, श्वेता राज, बुलबुल कुमारी, फूलचंद्र कुमार, मधु कुमारी, नंदन कुमार, नितश कुमार, प्रीति कुमारी, रंजीत कुमार, सितेन्द्र कुमार, सुमन कुमारी, गौरव कुमार, नेहा कुमारी, अंजनी कुमारी, कुंदन कुमार, ललन कुमार, रुपेश कुमार, विशाल कुमार सिंह, अनु कुमारी, रिम्मी कुमारी, अभिषेक कुमार, जगदंबी, ललन कुमार, रमन कुमार, रंजीत कुमार, प्रिया कुमारी, भूषण कुमार, प्रिंस कुमार, बाबुल कुमार, दिव्यांशु आनंद, भीषम कुमार, नीतीश कुमार, सचिन कुमार, मनीष कुमार शामिल थे. कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली टीमों को पुरस्कार और सभी प्रतिभागियों एवं सहभागियों को प्रमाण-पत्र दिया जाएगा.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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