छातापुर: प्रखण्ड मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में कार्तिक पूर्णिमा को मनाए जाने वाले सामा चकेवा पर्व को लेकर महिलाएं व युवतियां द्वारा तैयारी शुरू कर दी गयी है। समा चकेवा लोक पर्व के तहत प्रचलित है. यह पर्व भाई बहन के स्नेह का पर्व है. छठ पर्व से ही मिट्टी से कई तरह की मूर्तियां बनाने के साथ शाम में लोकगीत गाये जाने लगे है. मिथिला तथा कोसी के क्षेत्र में भातृ द्वितीया, रक्षाबंधन की तरह ही भाई बहन के प्रेम स्नेह का प्रतीक लोक पर्व सामा चकेवा प्रचलित है. अपने-अपने सुविधा के अनुसार दीपावली व छठ के खरना के दिन से मिट्टी से सामा चकेवा सहित अन्य प्रतिमाएं बनाकर इसकी शुरुआत की जाती है.
सामा, चकेवा, टिहुली, कचबचिया, चिरौंता, हंस, सत भैंया, चुगला, बृंदावन, पेटार, ढोलकिया सहित कई अन्य छोटी छोटी प्रतिमाएं बनायी जाती है. देवोत्थान एकादशी की रात से प्रत्येक आंगन में नियमित रूप से महिलाएं पहले समदाउन, ब्राह्मण गोसाउनि, भजन सहित अन्य गीत गाकर बनायी गयी मूर्तियों को ओस चटाती है. कार्तिक पूर्णिमा की रात मिट्टी के बने पेटार में सन्देश स्वरूप दही-चूरा भर सभी बहनें सामा चकेबा को अपने-अपने भाई के ठेहुना से फोड़वा कर श्रद्धा पूर्वक अपने खोइछा में लेती है. फिर बेटी के द्विरागमन की तरह समदाउन गाते हुए विसर्जन के लिए समूह में घर से निकलती है.
नदी, तालाब के किनारे या जुताई किया हुआ खेत में चुगला के मुंह मे आग लगाया जाता है. फिर मिट्टी तथा खर से बनाए बृंदावन मे आग लगाकर बुझाती है. फिर सामा चकेवा सहित अन्य के पुन: आने की कामना करते विसर्जन किया जाता है. क्या है मान्यता: सामा भगवान कृष्ण की बेटी थी. अपने अन्य सहयोगी के साथ वह प्रत्येक दिन विचरण करने वृंदावन के जंगल मे जाती थी. सामा के वृंदावन के जंगल मे एक तपस्वी के साथ गलत सम्बन्ध रहने का झूठा आरोप लगाते चुगला द्वारा चुपके से इसकी शिकायत पिता श्रीकृष्ण से किया गया. आरोप की सत्यता की जांच किए बगैर श्रीकृष्ण ने अपने पुत्री को पक्षी के रूप में रहने की शाप दे दिया.
इससे दुखी उसके पति चरूवकया तपस्या कर खुद भी चकेवा पक्षी के रूप में बन सामा के साथ वृंदावन के जंगल में रहने लगा. इस घटना की जानकारी मिलने के बाद सामा के भाई ने भी अपने बहन को पुन: मनुष्य के रूप में वापस लौटाने के लिए श्रीकृष्ण की तपस्या की. तभी से बहनों द्वारा अपने-अपने भाई के दीर्घायु होने की कामना लिए सामा चकेवा पर्व मनाया जाता है. इसको लेकर क्षेत्र में व्यापक रूप से तैयारी जारी है. घर घर समा चकेवा के गीत गूंज रहे है. खासकर लोक गायिका शारदा सिन्हा की गीत गाम के अधिकारी हमर छोटका भैया हे.. आदि गीत से क्षेत्र का महौल गुंजयमान बना हुआ है.
(रिपोर्ट सोनू कुमार भगत)
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