मधेपुरा: पांच मई को बीएनएमयू कुलसचिव द्वारा आर जे एम कॉलेज सहरसा के प्रधानाचार्य को पत्र लिख विगत सीनेट एवम् सिंडिकेट के निर्णय के आलोक में बीएनएमयू की दिव्यांग छात्रा मोनिका की नियुक्ति का आदेश देने पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ बीएनएमयू व पी यू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति सहित सीनेट व सिंडिकेट का आभार व्यक्त करते हुए इसे मानवता की कड़ी में सलाम करने वाला फैसला बताया. वहीं कुलसचिव के पत्र पर एक बार फिर सवाल खड़ा किया है. एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि विगत दो से तीन महीनों के अंदर कुलसचिव द्वारा जारी पत्रों व अधिसूचनाओं में आधे दर्जन से अधिक उजागर हुई कमियां जहां वर्तमान कुलसचिव की योग्यता को संदेह के घेरे में लाती है वहीं पद व सर्वोच्च सदन की गरिमा को हास्य का विषय बना रही है. घटना से पहले कमिटी बनाने, बैठक की दर्शाई तिथि से पहले अधिसूचना जारी करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि बिना पद दर्शाए नियुक्ति का आदेश करना एक बार फिर बीएनएमयू की प्रतिष्ठा को हल्का कर रहा है. आखिर बिना पद की नियुक्ति कैसे संभव है. वहीं सम्बन्धित महाविद्यालय ने भी बिना पद का उल्लेख किए नियुक्त कर दिया है ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि बीएनएमयू की छात्रा मोनिका को वेतन किस पद के आलोक में दिया जाएगा और मोनिका की बीएड विभाग में जिम्मेदारी क्या होगी. राठौर ने कहा कि समय रहते अगर इसे स्पष्ट नहीं किया गया तो यही पेंच मोनिका की नौकरी को भविष्य में दांव पर लगा देगा.
सर्वोच्च सदन व कुलपति के फैसलों को आभार व्यक्त करने के साथ एआईएसएफ नेता राठौर ने शंका भी व्यक्त किया कि कुलसचिव द्वारा जारी पत्र में पद का उल्लेख नहीं होना इस शंका को भी मजबूत कर रहा है कि कहीं बीएनएमयू मोनिका के साथ भी वही चाल तो नहीं चल रहा जो कुछ साल पहले सीनेट, सिंडिकेट के निर्णय के आलोक में ही अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह की नियुक्ति कर राष्ट्रीय स्तर पर शोहरत बटोरने के बाद उन्हें पूरी तरह भुला दिया गया. राठौर ने साफ व कड़े शब्दों में कहा कि बीएनएमयू में अध्यन के दौरान घर लौटने के क्रम में अपना दोनों पैर गंवा चुकी मोनिका के साथ ऐसा कुछ भी होने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कुलपति से मांग किया कि अविलंब इस पर संज्ञान ले उसके पद को स्पष्ट करें साथ ही कुलसचिव को अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर होने को भी कहे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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