अनुशासन समिति के फैसले को लागू करने में ही अनुशासन का अभाव - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

3 मई 2022

अनुशासन समिति के फैसले को लागू करने में ही अनुशासन का अभाव

मधेपुरा: वाम छात्र संगठन एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई ने विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति के कार्यशैली पर कई सवाल खड़े किए हैं. संगठन के विश्वविद्यालय प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि अनुशासन समिति के फैसले सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गए हैं. हकीकत यह है कि इसके फैसलों के अनुपालन में ही अनुशासन कहीं नजर नहीं आता. पांच अक्टूबर 2021 को समिति के अध्यक्ष सह बीएनएमयू कुलपति की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति की हुई बैठक में चर्चा व फैसलों का हवाला देते हुए एआईएसएफ नेता हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि छ माह पूर्व अनुशासन समिति की बैठक में लिए गए फैसलों का अनुपालन अभी तक नहीं हो पाया जबकि तीन दिनों बाद आगामी सिंडिकेट की बैठक है. 

बैठक में निर्धारित समय के काफी समय बाद भी बीएड प्रकरण की जांच रिपोर्ट नहीं जमा करने वाली कमिटी को यथा शीघ्र रिपोर्ट जमा करने का निर्णय हुआ बाद में सीनेट, सिंडिकेट बैठक में 31 मार्च तक का समय तय किया गया जिसको गुजरे भी एक माह हो गए लेकिन रिपोर्ट नहीं आया. कई पदाधिकारियों सहित एसएनएस आर के एस कॉलेज सहरसा के तीन प्रतिनियोजित चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की अनुशासनहीनता को लेकर उनके वेतन पर रोक का निर्णय लिया गया बावजूद इसके वो लगातार वेतन पा रहे हैं. माननीय लोकायुक्त के न्याय आदेश के बाद भी दो प्रधानाचार्यों के वेतन कटौती का फैसला लागू नहीं हुआ.  
वहीं एचएस कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य पर लगे तथाकथित आरोप की जांच रिपोर्ट पर उचित पहल होगी जो अभी तक नहीं हो सका. ऐसे में अनुशासन समिति की गरिमा व उसके फैसले सवालों के घेरे में हैं. राठौर ने कहा कि अनुशासन समिति विश्वविद्यालय के लिए सबसे बड़ा कोर्ट होता है जिसके सर्वेसर्वा खुद विश्वविद्यालय के कुलपति होते हैं और शेष सदस्यों के रूप में प्रतिकुलपति, कुलसचिव, कुलानुशासक सहित अन्य सदस्य होते हैं. इसके फैसले जहां विश्वविद्यालय को अनुशासन का पाठ पढ़ाते है वहीं गलत करने वाले को विधि सम्मत दंडित भी. लेकिन बीएनएमयू में हालात इसके विपरित हैै. 

पीड़ित की फरियाद अनुशासन समिति में चर्चा का विषय बनती है निर्णय होता है लेकिन फैसले हकीकत में मूर्त रूप नहीं ले पाते. विगत कुछ समय से इसके फैसलों के अनुपालन नहीं होने से जहां समिति के प्रति विश्वास कम हो रहा है वहीं दोषियों का मनोबल भी बढ़ रहा जिससे विश्वविद्यालय में अराजकता की संभावना बढ़ेगी. 

अनुशासन समिति के फैसलों में अनुशासन लाने की जरूरत

एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि यह दुर्भाग्य की पराकाष्ठा है कि बीएनएमयू के कोर्ट कहे जाने वाले अनुशासन समिति के द्वारा फैसले लेने के महीनों बाद अनुपालन की पहल नहीं होती इससे यह साफ है कि विश्वविद्यालय को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली कुलपति सहित वरीय पदाधिकारियों से सजी समिति के फैसलों को लागू करवाने में ही अनुशासन दूर दूर दूर तक नहीं है।इसमें अविलंब सुधार की जरूरत है अन्यथा विश्वविद्यालय में नकारात्मक तत्वों की जहां मनमानी बढ़ेगी वहीं पीड़ित से न्याय दूर होगा. राठौर ने कुलपति से मांग किया कि आगामी सिंडिकेट बैठक से पहले हर हाल में इन फैसलों का अनुपालन सुनिश्चित हो.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages