मधेपुरा: पुलिस अपने पर्यवेक्षण रिपोर्ट से सुर्ख़ियों में आने वाली है. 14 मई 2022 को समर्पित अपने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में वर्णित किया है कि मैंने इस कांड का पर्यवेक्षन 14 अप्रैल 2022 को घटनास्थल पर अनुसंधानकर्ता के समक्ष किया. सवाल यह है कि अनुसंधानकर्ता को अनुसंधान करते वक्त यह पता नहीं चल सका की मुख्य अभियुक्त हरदेव मुखिया का मरे हुए लगभग 10 साल हो चुका है. क्या पुलिस घटनास्थल पर गई ? अगर पुलिस घटनास्थल पर जाती तो निश्चित तौर पर उसे पता चल जाता की हरदेव मुखिया का मरे हुए लगभग 10 वर्ष हो चुके हैं तो निश्चित तौर पर पर्यवेक्षण रिपोर्ट में हरदेव मुखिया का नाम नहीं होता.
अगर पुलिस घटनास्थल पर जाती तो यह पता चल जाता कि स्वर्गीय हरदेव मुखिया और योगी मुखिया दोनों रिश्ते में खास चाचा भतीजा हैं फिर दोनों के पिता का नाम एक ही (स्वर्गीय महादेव मुखिया) कैसे हो सकता है. पर्यवेक्षण रिपोर्ट के निष्कर्ष में वर्णित किया गया है कि अभियुक्त गण में हरदेव मुखिया जो लगभग 10 वर्ष पूर्व मर चुके हैं) योगी मुखिया, गणेश भगत आदि नामजद अभियुक्त गाली गलौज करते हुए लाठी डंडा से मारपीट कर वादिनी रीता देवी को अर्धनग्न कर दिया गया. मारपीट के क्रम में गणेश भगत वादिनी के गले का सोने का चैन ले लिया गया तथा धमकी दिया गया कि दोबारा इस जमीन पर आएगी तो जान मार देंगे. हल्ला गुल्ला की आवाज सुनकर अगल-बगल के लोग आए तो बीच बचाव कर झगड़ा शान्त करा दिया गया.
अब सवाल यह है कि जब हल्ला गुल्ला होने पर आसपास के लोग बचाने आए और झगड़ा को शांत किया तो फिर पुलिस साक्षी के तौर पर वादिनी रीता देवी के परिवार(रीता देवी के पति और उसके दो भाई) के तीन सगे भाइयों मात्र से ही बयान क्यों लिया? रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि पुलिस बिना घटनास्थल पर गए मोटी रकम लेकर पर्यवेक्षण रिपोर्ट तैयार कर दिया. वादिनी रीता देवी गरीब है जिसकी चर्चा पर्यवेक्षण रिपोर्ट में भी वर्णित है. विशेष सूत्र से यह भी पता चला है कि वादिनी रीता देवी के पीछे किसी भू -माफिया का हाथ है जो रीता देवी को मोहरा बना रहा है और रुपया फिनांस कर रहा है. मधेपुरा पुलिस के लिए यह चुनौती है कि ऐसे छुपे रुस्तम को बेनकाब करें जिससे निर्दोष फंसे नहीं और दोषी बचे नहीं.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....