बीपी मंडल राजकीय जयंती के एक सप्ताह शेष,जिला प्रशासन द्वारा कोई सुगबुगाहट नहीं होना उदासीनता का संकेत - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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17 अगस्त 2022

बीपी मंडल राजकीय जयंती के एक सप्ताह शेष,जिला प्रशासन द्वारा कोई सुगबुगाहट नहीं होना उदासीनता का संकेत

मधेपुरा: मंडल आयोग के प्रणेता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बी पी मंडल की राजकीय जयंती के एक सप्ताह मात्र शेष होने के बाद भी आयोजन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा कोई सुगबुगाहट नहीं किए जाने पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ ने कड़ी नाराजगी जताई हैै. संगठन के जिला अध्यक्ष हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि बी पी मंडल की जयंती के मात्र एक सप्ताह शेष हैं और जिला प्रशासन राजकीय आयोजन को लेकर कहीं सक्रिय नजर नहीं आ रहा है. इससे पता चलता है कि राजकीय जयंती के गरिमा के प्रति भी जिला प्रशासन गंभीर नहीं है. इस हरकत से यही साबित होता है कि आखिरी समय में आनन फानन में आयोजन कर औपचारिकता निभा जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री करेगा. 

एआईवाईएफ नेता राठौर ने कहा कि पहले एक माह पहले से तैयारी चलती थी अलग अलग स्तरों पर कमिटियां बना उनकी भूमिका तय की जाती थी जिसके परिणामस्वरूप एक समृद्ध स्मारिका का प्रकाशन होता था वहीं वृहद स्तर पर तैयारी कर दूर दराज के कलाकारों को मंच दे भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होता था जिसमें बड़ी संख्या में जिलेवासी शरीक होते थे. वहीं सुदूर क्षेत्रों के युवा रोड रेस के हिस्सा बनते थे. जयंती में राज्य सरकार के कई बड़े नेता हिस्सा बनते थे लेकिन विगत कुछ वर्षों में बिहार दिवस, मधेपुरा स्थापना दिवस आदि में आयोजन की परम्परा ही बदल गई है. अब व्यवहारिक रूप से बैठक भी नहीं होती पुरानी प्रोसिडिंग के आधार पर ही आयोजन की रूपरेखा तय कर ली जाती है. 

अधिकांश बैठकों में डीएम गायब रहते हैं जबकि पहले डीएम के नेतृत्व में जोर शोर से तैयारी चलती थी. राठौर ने कहा कि कई बार पत्र लिख आग्रह के बाद भी जिला प्रशासन ने ऐसे महत्वपूर्ण आयोजनों के प्रति गम्भीरता नहीं दिखाई जो दुखद है. इसी साल बिहार दिवस व मधेपुरा जिला स्थापना दिवस में जिला प्रशासन की औपचारिकता व उदासीनता के कारण काफी किरकिरी हुई थी. एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष ने विगत कई वर्षों से मधेपुरा में विभिन्न स्तरों पर प्रकाशित होने वाली स्मारिका प्रकाशन को पूरी तरह खत्म किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि आयोजन आए गए हो जाते हैं लेकिन उस अवसर पर प्रकाशित स्मारिकाएं भविष्य के लिए भी धरोहर बन जाती है. 

बगल के जिले सहरसा व सुपौल में छोटे छोटे आयोजनों में स्मारिका प्रकाशित होती है और मधेपुरा में विश्वविद्यालय व साहित्यिक रुचि के लोगों की लंबी कतार होने के बाद भी इसे बन्द कर दिया गया है जबकि सरकार द्वारा इसके लिए बजट हर साल दिया जाता है. राठौर ने कहा कि जिला प्रशासन अविलंब बैठक बुलाए और यथासंभव यादगार तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री बी पी मंडल की राजकीय जयंती के आयोजन की तैयारी युद्ध स्तर पर करे. साथ ही भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम की गारंटी करते हुए स्मारिका न सही कॉफी टेबल बुक ही प्रकाशित करे. अन्यथा विगत कुछ वर्षों में जिला प्रशासन की औपचारिकता वाली करतूत व कई परम्पराओं को खत्म करने की साज़िश का पर्चा बना आम जन के बीच ले जाया जाएगा. 

(रिपोर्ट:- ईमेल)
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