मधेपुरा: दर्शन परिषद्, बिहार का 43वां अधिवेशन लतित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में रविवार को शुरू हुआ. इसमें बीएनएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी सहित कई शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया. डॉ. द्विवेदी ने सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि सिया देवी एक देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थीं. उन्होंने अपने हाथ में 'जय हिंद' गुदवाया था. देश-भक्ति, त्याग-तपस्या व्रत-उपवास, प्रेम-सेवा और स्वच्छता आदि का भाव उनमें कूट-कूट कर भरा था. असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर ने दूसरे व्याख्यान में 'बुजुर्ग विमर्श' पर अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा कि हमें हमेशा अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए और उनके योगदानों के प्रति हमेशा कृतज्ञ होना चाहिए. समाज एवं राष्ट्र के विकास में में बुजुर्गों के योगदान एवं उसकी भूमिका का मूल्यांकन तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करें. इसे समग्रता में समझने की कोशिश करें और मानवीय दृष्टिकोण रखें. हम दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें, जो हम चाहते हैं कि दूसरे हमारे साथ करें. सम्मेलन में बीएनएमयू के रमेश झा महिला महाविद्यालय, सहरसा के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रत्यक्षा राज, एच. एस कालेज, निर्मली के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार, शोधार्थी डॉ. अशोक कुमार आदि ने भाग लिया.
डॉ. शेखर ने बताया कि यह सम्मेलन शिक्षकों एवं शोधार्थियों के लिए एक बहुत ही बड़ा अवसर है. कुलपति डॉ. एस. के. सिंह ने अधिवेशन का उद्घाटन किया. इसमें प्रो. (डॉ.) आई. एन. सिन्हा (पटना), प्रो. (डॉ.) आर. सी. सिन्हा (पटना), प्रो. (डॉ.) महेश सिंह (आरा), प्रो. (डॉ.) कुसुम कुमारी (मुंगेर), प्रो. (डॉ.) गोदावरीश मिश्र (नालंदा), सामान्य अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) निर्मला झा (मुजफ्फरपुर), अध्यक्षा प्रो. (डॉ.) पुनम सिंह (पटना), महासचिव डॉ. श्यामल किशोर (पटना), संयुक्त सचिव डॉ. पूर्णेंदु शेखर (भागलपुर), डॉ. नीरज प्रकाश (पटना) आदि भाग ले रहे हैं.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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