मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ. भूपेंद्र नारायण मधेपुरी ने विस्तार से डॉ.कलाम के जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम के मन मे शिक्षक के प्रति असीम आदर और सम्मान था. वे शिक्षक के पद को विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री यहां तक कि प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति से भी बड़ा मानते थे. यही कारण है कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी डॉ۔ कलाम एक शिक्षक के रूप में कार्य करते रहे और वे जीवन की अंतिम सांस तक शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से जुड़े रहे. अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि आज कलाम सशरीर हमारे बीच भले ही नहीं है, लेकिन उनके विचार एवं कार्य हमेशा हमारे बीच मौजूद रहेंगे. हम उनके सपनों को साकार करने की दिशा में प्रयास करें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि डॉ. कलाम भारत मां के सच्चे सपूत थे. वे जाति-धर्म की सीमाओं से ऊपर थे. उनके जीवन का हर पल हमारे लिए अनुकरणीय है. आज भी देश को डॉ. कलाम जैसे राजनेताओं की जरूरत है. इसके पूर्व दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. अतिथियों ने डॉ. कलाम के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. अतिथियों को अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया गया.कार्यक्रम के अंत में जो करेंगे मधेपुरा को गौरवान्वित डॉ. मधेपुरी करेंगे उनको सम्मानित योजना के अंतर्गत दो शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया. इनमें पार्वती विज्ञान महाविद्यालय में संगीत की विभागाध्यक्षा रीता कुमारी तथा जगजीवन आश्रम मध्य विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ. चंदा कुमारी के नाम शामिल हैं. रीता ने संगीत के क्षेत्र में प्रतिभाओं को आगे बढ़ाया है चंदा ने बच्चों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त किया. अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि आज कलाम सशरीर हमारे बीच भले ही नहीं है, लेकिन उनके विचार एवं कार्य हमेशा हमारे बीच मौजूद रहेंगे. हम उनके सपनों को साकार करने की दिशा में प्रयास करें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. जो अपनी लगन से शिक्षा का प्रसार कर रही हैं के नाम शामिल हैं
इस अवसर पर गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार, बी. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. जावेद अहमद, डॉ. कुंदन कुमार सिंह, डॉ. के. एल. पटेल, अमित कुमार, डॉ. विकास आनंद, डॉ. अशोक कुमार अकेला, विवेकानंद, सुनील कुमार आदि उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....