पत्र में राठौर ने बिहार के नए राज्यपाल को लिखा है कि कुछ दिन पहले ही कुलपति ने मिलकर जिन एनसीसी, एनएनएस, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यों सहित अन्य क्षेत्रों बड़े बड़े उपलब्धियों का बखान किया है उनकी जानकारी वेबसाइट पर सर्च करने पर रिजल्ट नॉट फाउंड दिखा रहा है ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर ये कैसी उपलब्धियां हैं जो कुलपति को पता है लेकिन वेबसाइट अनजान है. लाइब्रेरी, हॉस्टल, हेल्थ फैसिलिटीज, एनसीसी, एनएसएस, एल्युमिनी, स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एक्टिक्विटी, आरटीआई, ओबीसी, एससी, एसटी, विमेन सेल, फी रिफंड जैसे मुद्दों पर जानकारी की खोज करने पर सबका एक ही जवाब आता है नो रिजल्ट फाउंड.
एनआईसी के बजाय प्राइवेट कंपनी से वेबसाइट मेंटनेंस कराना दुखद
हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है कि सामान्य रूप से सरकारी कार्यालयों व बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों में वेबसाइट मेंटेनेंस का काम भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआईसी द्वारा सफलता पूर्वक निशुल्क किया जा रहा है लेकिन कमिशन के खेल के लिए बीएनएमयू प्राइवेट कंपनी को लाखों रुपए देकर मेंटेनेंस करवाती है उसके बाद भी यह हालत है. एक ओर एनआईसी द्वारा मेंटेनेंस मधेपुरा जिला प्रशासन के दुरुस्त वेबसाइट का हवाला देते हुए राठौर ने कहा कि एनआईसी द्वारा कई बार निशुल्क सेवा के अनुरोध के बाद भी बीएनएमयू प्रशासन ने उसे तरजीह देने के बजाय प्राइवेट कंपनी को लाखो देकर काम कराना जरूरी समझा जो कई स्तरों पर गोपनीयता के नजर में सुरक्षित भी नहीं प्रतीत होता उसके वावजूद भी यह फजीहत झेलनी पड़ रही. राठौर ने मांग किया कि इन सारे बिंदुओं पर गम्भीरता दिखाते हुए अविलंब सूचना को सुधार करते हुए सही किया जाए साथ ही वेबसाइट मेंटेनैंस की जिम्मेदारी भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआईसी को सौंपा जाए जिससे गोपनीयता पर कोई खतरा भी न रहे. कमीशन के खेल में वेबसाइट को झुनझुना बनाना दुखद है.
तैतीस साल के युवा विश्वविद्यालय की बचकाना हरकत दुखदराठौर ने कहा कि यूं तो अपने पदाधिकारियों की लापरवाही और कुव्यवस्था के कारण विश्वविद्यालय हमेशा किसी न किसी विवाद से अपनी किरकिरी कराता रहता है लेकिन बीएनएमयू वेबसाइट से जुड़ा मामला पूरी तरह बचकाना हरकत है।तैतीस साल के युवा विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से ऐसी बचकाना आदत की उम्मीद नहीं की जा सकती पदाधिकारियों को यह समझने की जरूरत है अब विश्वविद्यालय युवा हो चुका है उसका अंदाज भी युवा होना चाहिए. वेबसाइट संचालन में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर करवाई होनी चाहिए और सूचनाओं की सही जानकारी मेंशन की जानी चाहिए साथ ही इस बात की गारंटी भी की दोबारा ऐसी फजीहत न हो जिससे विश्वविद्यालय जैसी संस्था की प्रशासनिक व्यवस्था की किरकिरी हो.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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