वेबसाइट पर गलत जानकारी तैतीस साल के युवा बीएनएमयू की बचकाना हरकत - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

16 जनवरी 2025

वेबसाइट पर गलत जानकारी तैतीस साल के युवा बीएनएमयू की बचकाना हरकत

मधेपुरा: समय - समय पर बीएनएमयू अपनी वेबसाइट से जुड़े बिंदुओं को लेकर चर्चा में रहा है अभी तक दुरुस्त सूचना देने में सबल नहीं हो सका जो दुखद है. कभी अश्लील वीडियो तो कभी पाकिस्तानी झंडा फहराने जैसी हरकतों का शिकार विश्वविद्यालय का वेबसाइट अकसर खबरों को अपडेट नहीं रख पाने के लिए किरकिरी का सामना करता रहा है. केरल के राज्यपाल को बिहार का राज्यपाल बताने सहित कई प्रकार की पुरानी और अधूरी जानकारी के कारण एक बार फिर बीएनएमयू वेबसाइट का चर्चा में आने से यह सवाल उठने लगा है कि आखिर विश्वविद्यालय अपनी गलतियों से सीख लेने के बजाय फिर उसी गलती को दोहरा कैसे जाता है. वेबसाइट की करतूत के संबंध में वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बिहार के कुलाधिपति सह राज्यपाल को पत्र लिख शिकायत की है।लिखे पत्र में राठौर ने कहा कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की वेबसाइट द्वारा माननीय पूर्व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को आज बिहार का राज्यपाल दिखाया जा रहा है, इतना ही नहीं विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य द्वार, आडिटोरियम आदि जगहों पर राज्यपाल ,बिहार के रूप में अभी भी राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की लगी फोटो लचर व्यवस्था को दर्शा रही है. वहीं कई रिटायर पदाधिकारी को अभी भी पद पर दिखाया जा रहा है. 
कुछ भी सर्च कीजिए जवाब एक ही रिजल्ट नॉट फाउंड

पत्र में राठौर ने बिहार के नए राज्यपाल को लिखा है कि कुछ दिन पहले ही कुलपति ने मिलकर जिन एनसीसी, एनएनएस, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यों सहित अन्य क्षेत्रों बड़े बड़े उपलब्धियों का बखान किया है उनकी जानकारी वेबसाइट पर सर्च करने पर रिजल्ट नॉट फाउंड दिखा रहा है ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर ये कैसी उपलब्धियां हैं जो कुलपति को पता है लेकिन वेबसाइट अनजान है. लाइब्रेरी, हॉस्टल, हेल्थ फैसिलिटीज, एनसीसी, एनएसएस, एल्युमिनी, स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एक्टिक्विटी, आरटीआई, ओबीसी, एससी, एसटी, विमेन सेल, फी रिफंड जैसे मुद्दों पर जानकारी की खोज करने पर सबका एक ही जवाब आता है नो रिजल्ट फाउंड. 

एनआईसी के बजाय प्राइवेट कंपनी से वेबसाइट मेंटनेंस कराना दुखद

हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है कि सामान्य रूप से सरकारी कार्यालयों व बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों में वेबसाइट मेंटेनेंस का काम भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआईसी द्वारा सफलता पूर्वक निशुल्क किया जा रहा है लेकिन कमिशन के खेल के लिए बीएनएमयू प्राइवेट कंपनी को लाखों रुपए देकर मेंटेनेंस करवाती है उसके बाद भी यह हालत है. एक ओर एनआईसी द्वारा मेंटेनेंस मधेपुरा जिला प्रशासन के दुरुस्त वेबसाइट का हवाला देते हुए राठौर ने कहा कि एनआईसी द्वारा कई बार निशुल्क सेवा के अनुरोध के बाद भी बीएनएमयू प्रशासन ने उसे तरजीह देने के बजाय प्राइवेट कंपनी को लाखो देकर काम कराना जरूरी समझा जो कई स्तरों पर गोपनीयता के नजर में सुरक्षित भी नहीं प्रतीत होता उसके वावजूद भी यह फजीहत झेलनी पड़ रही. राठौर ने मांग किया कि इन सारे बिंदुओं पर गम्भीरता दिखाते हुए अविलंब सूचना को सुधार करते हुए सही किया जाए साथ ही वेबसाइट मेंटेनैंस की जिम्मेदारी भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआईसी को सौंपा जाए जिससे गोपनीयता पर कोई खतरा भी न रहे. कमीशन के खेल में वेबसाइट को झुनझुना बनाना दुखद है.

तैतीस साल के युवा विश्वविद्यालय की बचकाना हरकत दुखद

राठौर ने कहा कि यूं तो अपने पदाधिकारियों की लापरवाही और कुव्यवस्था के कारण विश्वविद्यालय हमेशा किसी न किसी विवाद से अपनी किरकिरी कराता रहता है लेकिन बीएनएमयू वेबसाइट से जुड़ा मामला पूरी तरह बचकाना हरकत है।तैतीस साल के युवा विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से ऐसी बचकाना आदत की उम्मीद नहीं की जा सकती पदाधिकारियों को यह समझने की जरूरत है अब विश्वविद्यालय युवा हो चुका है उसका अंदाज भी युवा होना चाहिए. वेबसाइट संचालन में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर करवाई होनी चाहिए और सूचनाओं की सही जानकारी मेंशन की जानी चाहिए साथ ही इस बात की गारंटी भी की दोबारा ऐसी फजीहत न हो जिससे विश्वविद्यालय जैसी संस्था की प्रशासनिक व्यवस्था की किरकिरी हो.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages