जिन्हे शिक्षक बनने को बढ़ाना था कदम उन्हें कोर्ट के मामले में उलझा रहा बीएनएमयू - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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2 अक्तूबर 2022

जिन्हे शिक्षक बनने को बढ़ाना था कदम उन्हें कोर्ट के मामले में उलझा रहा बीएनएमयू

मधेपुरा: बीएनएमयू में बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन का मामला विश्वविद्यालय के गले की वो हड्डी बन बैठा है जिसे न निगलते बन रहा न उगलते क्योंकि दोनों ही हालत में गर्दन साफ फंसती नजर आ रही. ऐसे में पदाधिकारी अपनी गर्दन बचाने के लिए छात्रों को बलि का बकरा बनाने की साजिश रच बैठे यह आरोप वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति को लिखे पत्र में लगाया है. पत्र में राठौर ने उंत्तीस सितम्बर को कुलसचिव द्वारा पन्द्रह छात्रों को पत्र लिख पटना उच्च न्यायालय में बारह अक्टूबर की सुनवाई में बीएड मामले वाले केस में अपना पक्ष वकील द्वारा रखने को कहा है. 

इस पर एआईएसएफ नेता राठौर ने आरोप लगाते हुए कहा है कि यह छात्रों को मानसिक, आर्थिक व अन्य रूप से प्रताड़ित करने की बड़ी साजिश है सबसे बड़ा सवाल है कि इस ऑन स्पॉट एडमिशन में इन छात्रों की गलती कहां से आ गई अगर गलती हुई भी है तो वो पदाधिकारियों के स्तर से हुआ है फिर छात्र कोर्ट में क्यों उपस्थित हों. राठौर ने आशंका व्यक्त किया कि कहीं न कहीं खुद को बचाने में पदाधिकारियों ने कोर्ट के सामने छात्रों को दोषी ठहराने की चाल तो नहीं चली. आखिर लगभग दो साल के समय में विश्वविद्यालय मामले को निपटाने में सफल क्यों नहीं रहा. 
राठौर ने कहा कि दूसरी ओर जब कोर्ट ने ऑन स्पॉट एडमिशन के छात्रों को शो काज करने का आदेश दिया तब पत्र में इस बात का उल्लेख क्यों नहीं है कि आखिर उनकी गलती क्या है कि जिसपर उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत होकर अपनी बात रखनी होगी. राठौर ने विश्वविद्यालय प्रशासन के गतिविधि व पहल पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि विभाग ने सत्रह बीएड छात्र छात्राओं को पहले कुलसचिव चेंबर में बुलाकर स्पष्टीकरण मांगा फिर पन्द्रह को पत्र जारी करते हुए बारह अक्टूबर की सुनवाई में अपना पक्ष रखने को कहा. राठौर ने विश्वविद्यालय पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वस्त सूत्रों की माने तो पदाधिकारियों को बचाने व छात्रों फंसाने की नियत से वकालत नामा पर हस्ताक्षर करवा लिया गया है जिससे भविष्य में यह छात्र विश्वविद्यालय की किसी कारवाई पर कोर्ट का दरवाजा न खटखटा सके और बीएनएमयू कोर्ट में उस वकालतनामा के साथ मनमाफिक जवाब जमा कर पन्द्रह छात्रों को निरीह बना दे. 
एआईएसएफ नेता राठौर ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा यह हमेशा बीएनएमयू के काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा कि बीएनएमयू ने दोषी पदाधिकारियों पर कारवाई के बजाय उन्हें बचाने में पन्द्रह छात्रों को बलि का बकरा बनाने में संकोच नहीं कियाा. राठौर ने साफ किया कि अगर एक भी छात्र मोहरा बने तो विश्वविद्यालय आंदोलन का अखाड़ा बन जाएगा. पत्र में राठौर ने कुलपति के कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि लगातार मांग व आंदोलन के बाद भी इस मामले को निपटाने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसका विनाशकारी रूप सामने है. आज दर्जनों छात्रों को ही मोहरा बनाया जा रहा है लेकिन तब भी कुलपति मौन बने हुए हैं इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ नहीं हो सकता. 

एक छात्र का न्याय के लिए लगभग दो सालों से भटकना तब भी न्याय न मिलना पदाधिकारियों के करतूतों का आइना और लंबे लंबे भाषणों पर सवाल खड़ा करता है. कोर्ट में गलती पर गलती स्वीकार करने के बाद भी शिकायतकर्ता को दोषी साबित करने में लगे बीएनएमयू को चाहिए कि अविलंब सच्चाई को स्वीकार कर पीड़ितों के साथ न्याय व दोषियों पर कार्रवाई करे न कि रिजल्ट के इंतजार में बैठे छात्रों को ही कोर्ट में घसीटने की जाल बुने.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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