कोसी सीमांचल की इकलौती महिला पत्रकार है गरिमा उर्विशा - हंस - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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4 सितंबर 2018

कोसी सीमांचल की इकलौती महिला पत्रकार है गरिमा उर्विशा - हंस

मधेपुरा
मधेपुरा खबर अपने कुछ हीं वर्षों के सफर में अपनी कड़ी मेहनत और निष्पक्ष खबरों के कारण सफलता की बुलंदियों को छू रहा है.
                हमें यह बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि देश के अतिप्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका हंस के मीडिया विशेषांक सितंबर 2018 संस्करण में मधेपुरा खबर की प्रमुखता से चर्चा की गई है और साथ हीं हंस में यह भी चर्चा की गई है कि मधेपुरा खबर की संचालिका गरिमा उर्विशा पहली ऐसी युवती है जो पत्रकारिता के क्षेत्र में पूरे जोश के साथ पत्रकारिता करने के साथ-साथ संपादन भी करती है.
                देश के अतिप्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका हंस के मूल संस्थापक साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने इसकी स्थापना 1930 में की. उनके बाद इस पत्रिका के पुनर्संस्थापक के रूप में राजेंद्र यादव वर्ष 1986 में आए. पत्रिका में जाने-माने पत्रकार व लेखक पुष्यमित्र द्वारा "कस्बा-कस्बा बनता खबरिया जाल" आलेख में न्यू मीडिया और सोशल मीडिया की सफलता पर विस्तारित रूप से चर्चा की गयी है. जिसमें कम हीं समय में मधेपुरा खबर की सफलताओं और संचालिका गरिमा उर्विशा के जद्दोजहद की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है.
              "हंस" में बेबाक पत्रकार और लेखक पुष्यमित्र मधेपुरा खबर की चर्चा करते हुए लिखते हैं कि,"मधेपुरा खबर नामक वेब पोर्टल का संचालन एक युवती गरिमा उर्विशा करती है. यह तथ्य इसलिए भी रेखांकित करने योग्य है कि पूरे बिहार में अखबारों के जिला मुख्यालयों में कहीं भी आपको कोई लड़की काम करती नहीं मिलेगी यहां जो लड़कियां अखबारों में काम करती हैं वे प्रिंटिंग यूनिट वाले दफ्तरों में हीं. इस लिहाज से गरिमा का मधेपुरा जैसे जिले में सक्रिय होकर पत्रकारिता करना मुझे एक महत्वपूर्ण बात लगती है."
वे आगे लिखते हैं कि,
"मधेपुरा खबर न्यूज पोर्टल की संचालिका गरिमा उर्विशा न सिर्फ मधेपुरा बल्कि पूरे कोसी सीमांचल इलाके की इकलौती महिला पत्रकार हैं. वे ना सिर्फ अपने पोर्टल का संपादन करती हैं बल्कि फील्ड में जाकर रिपोर्टिंग भी करती हैं. अमूमन बिहार के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में महिलाएं पत्रकारिता के पेशे में नहीं के बराबर हैं और जिन बड़े शहरों से अखबार छपते हैं, वहां रिपोर्टर हैं भी तो वह सब साॅफ्ट बीट्स पर खबरें करने के लिए.
                ऐसे में गरिमा का रिपोर्टिंग करना और अपने पोर्टल का संपादन करना एक खुशनुमा एहसास की तरह है. आत्मविश्वास से भरी गरिमा ने पत्रकारिता की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली है. वे तो अभी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है. गरिमा खुद को पत्रकारिता के पेशे में लाने का श्रेय अपने भाई सुनीत साना को देती है जो 2014 से मधेपुरा खबर के नाम पर फेसबुक पेज का संचालन करते थे. 6 महीने बाद उन्होंने इसे पोर्टल का रूप दिया.
                         पहले इस पोर्टल से दिलखुश कुमार, अमित आनंद, देशराज दीप सहित कई लड़के जुड़े थे मगर बाद में उनके जाने के बाद गरिमा अकेले इसे संभाल रही है. गरिमा कहती हैं, कोसी क्षेत्र में लड़कियों को पत्रकारिता करते मैंने नहीं देखा. मगर मुझे इस क्षेत्र में बचपन से लगाव रहा है. यह कहा जा सकता है कि मधेपुरा खबर का प्रतिनिधि बनाकर मेरे भाई ने मेरे बचपन का शौक पूरा कर दिया. आज शहर में मेरी अपनी एक पहचान है. लोग सराहते हैं. कई लोग लड़कियों को इस क्षेत्र में आने से रोकते हैं.
                        मुझे भी कुछ नकारात्मक लोगों ने रोका मगर मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता. मुझे खुद पर विश्वास है और अपने परिवार और शुभचिंतकों के भरोसे पर भरोसा है तो फिर काम करने में डर नहीं लगता. मधेपुरा खबर को चलाने में कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है. संसाधन सीमित है. यह अब वह सपना है जिसे मैं अपनी जागती आंखों से देखती हूं. शुरुआती दौर में कुछ लोगों ने सहयोग किया तो वहीं कुछ व्यक्तियों ने टांग भी खींचने की कोशिश की. मधेपुरा में मेरा ननिहाल है यहां मेरी मां प्राइवेट स्कूल में पिछले 8 सालों से पढ़ा रही है.
                       मैं आज जैसी हूं अपने नाना - नानी और अपनी मां के विश्वास की बदौलत हूं."मधेपुरा खबर की तरफ से वरिष्ठ पत्रकार और प्रख्यात लेखक पुष्यमित्र जी और अतिप्रतिष्ठित पत्रिका हंस का बहुत-बहुत शुक्रिया जो इतनी बारीकी से मधेपुरा खबर को जानने की कोशिश की और इतना हीं नहीं इसे हंस के पन्नों में भी रेखांकित किया.
                      यह पोर्टल आज अपनी बुलंदियों को छू रहा है इसका सीधा श्रेय मधेपुरा खबर के पाठकों को जाता है, सभी पाठकों का शुक्रिया. सभी पाठकों से निवेदन है कि अपना प्रेम इसी तरह बनाए रखिए और सफलता के साक्षी बन नित नया इतिहास रचने में सहयोग किजिए.

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