डेस्क: कम ही देखने को मिलता है जब किसी विभाग में भ्रष्टाचार का खुलासा कर और खुद बड़े एक्शन लेकर अपने विभाग की कलई खोल देे. ज्यादातर अधिकारी विभाग में भ्रष्टाचार के मामले में लीपापोती करते दिखते हैं. पर सहरसा की एसपी के एक्शन की चर्चा जिले में तेजी से की जा रही हैै. जिले के पुलिस विभाग में सामने आया है. जिले के पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह का पुलिस महकमे मे भ्रष्टाचार के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन सुर्खियों में है.
शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सहायक थानाध्यक्ष पर करवाई कर महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रूख अपनाने का संदेश दे दिया. जिसके तहत एसपी ने सदर थाना में सहायक थानाध्यक्ष के रूप में पदस्थापित राजमणी को निलंबित कर दिया. यह कोई पहली बार नहीं है जब सहायक थानाध्यक्ष को अपने कारनामे के कारण निलंबित होना पड़ा है.
बता दें कि सदर थाना में वर्तमान में प्रशिक्षु डीएसपी निशीकांत भारती थानाध्यक्ष हैं और सहायक थानाध्यक्ष के रूप में राजमणी काम कर रहे थे. यह दूसरी बार हुआ है जब राजमणी को भ्रष्ट्राचार मामले में निलंबित होना पड़ा है. जमीन पर अवैध कब्जा दिलाने सहित आरोपियों को थाना से छोड़ने के कई मामलों की शिकायत एसपी लिपि सिंह सहित वरीय पुलिस पदाधिकारियों को मिलती रही थी. एसपी ने सहायक थानाध्यक्ष राजमणी के निलंबन की पुष्टि की और कहा उनके विरुद्ध केस के अनुसंधान और भ्रष्ट्राचार के कई मामलों की जांच चल रही है.
एक मामले की जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें निलंबित किया गया है. राजमणी पर बीते महीने शहर के कपड़ापट्टी के एक टेक्सटाइल व्यवसायी संतोष कुमार गुप्ता की पत्नी को लाखों रुपए कैश और जेवरात लेकर भगा ले जाने वाले दिल्ली के एक आरोपी को थाना से छोड़ने की घटना में जांच चल रही है. इस मामले में उनके करीबी सक्रिय दलालों ने लाखों रुपए की डील कर अभियुक्त को छुडा ले जाने में कामयाब रहा. भ्रष्ट्राचार के आरोप की पुष्टि तब और हो गयी जब खुद आरोपी इंस्पेक्टर राजमणी ने बांड पर ही महिला को भगा ले जाने के आरोपी को छोड़ दिया और अपने स्तर से अनुसंधान किए जा रहे केस को बजाप्ता मिस्टैक ऑफ फैक्ट बता रफा-दफा कर दिया गया था.
इससे पूर्व मोटी रकम लेकर केस से नाम हटाने को लेकर सहायक सदर थानाध्यक्ष राजमणि को निलंबित किया गया था. कोसी रेंज के डीआईजी सुरेश प्रसाद चौधरी ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सदर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर राजमणि को हटाते हुए विभागीय जांच का निर्देश दिया था. उस समय एक एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें सदर थानाध्यक्ष और एक युवक के बीच आर्म्स एक्ट से नाम हटाने को लेकर काफी देर तक बातचीत हुई थी. स्थानीय भाषा मैथिली में हो रही बातचीत के दौरान कई मामले में वांछित रह चुका युवक सदर थानाध्यक्ष को यह बताते हुए सुना जा रहा है कि कौन से मामले में किस तरह का दफा लगने से केस कमजोर हो जाता है.
सदर थानाध्यक्ष युवक से कह रहा है कि धारा 307 का केस हमारे पास रहेगा और 27 आर्म्स एक्ट का केस डीएसपी के पास चला जाएगा. कई तरह की बात के बाद सदर थानाध्यक्ष कहते हैं कि कुछ व्यवस्था करतैय. थानाध्यक्ष यह भी कहते हैं कि तोहर पैरवी डीएसपी मुख्यालय साहब भी किये थे. उल्लेखनीय है कि बातचीत में जिस डीएसपी मुख्यालय की चर्चा की जा रही उनका सहरसा से तबादला हो चुका था.
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