विद्यालय में धूमधाम से मनाई गई कस्तूरबा गांधी जयंती - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

11 अप्रैल 2024

विद्यालय में धूमधाम से मनाई गई कस्तूरबा गांधी जयंती

उदाकिशुनगंज: कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में गुरुवार को धूमधाम से कस्तूरबा जयंती व छात्रों का विदाई समारोह मनाया गया. बीईओ निर्मला देवी, सीईओ हरिनाथ राम, वार्डेन प्रतिमा कुमारी, संचालक संजय प्रताप ने चित्र पर माल्यार्पण व केक कटिंग किया. छात्राओं ने रंगोली, रिकॉर्डिंग डांस आदि कार्यक्रम कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. वहीं छात्रों को बीच बैग, किताब आदि सामग्री का वितरण किया गया. इस अवसर पर छात्राओं ने संकल्प लेते हुए कहा हम लोग समाज में व्याप्त बाल विवाह, दहेज प्रथा व नशा का विरोध करूंगी. साथ ही साथ इन सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु अपने परिवार व समाज में जागृति लाने का प्रयास करूंगी. साथ ही यह भी संकल्प लेती हूं कि कस्तूरबा विद्यालय से शिक्षा ग्रहण के उपरांत आगे की शिक्षा जारी रखेंगे ताकि शिक्षित, स्वस्थ्य, नए समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनी रहूंगी. 

बीईओ ने विद्यालय के छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कस्तूरबा गांधी के जीवनी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 ई में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था. मात्र 7 साल की अवस्था में उनकी सगाई महात्मा गांधी के साथ हो गई थी. पुन: 13 साल की उम्र में दोनों का विवाह हो गया. महात्मा गांधी की पत्नी होने के अलावा कस्तूरबा गांधी की अपनी पहचान भी थी. वें एक समाज सेविका थी. गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए बापू ने काम काम किया यह तो हम सब जानते हैं. कितु दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीयों को काम कराने के विरूद्ध आवाज उठाने वाली कस्तूरबा गांधी ही थीं. सर्वप्रथम कस्तूरबा गांधी ने ही इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए उनको 3 महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा. इसके अलावा भी जब वे भारत लौटें तो अपने अंतिम क्षण तक भारतीयों की सेवा करती रहीं.

वहीं वार्डेन प्रतिमा कुमारी ने छात्राओं को बताया कि एक गरीब परिवार की छात्रा आगे की पढ़ाई कर भविष्य को सवारे और इस संस्था के साथ समाज एवं देश का नाम रोशन करें.
(रिपोर्ट:- सोनू कुमार)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages