केवल गरीबनाथ मंदिर का आय एक करोड़ के करीब
श्रावणी मेला के लिए सरकार के भूमि सुधार व राजस्व विभाग की जारी सूची में शामिल 14 धार्मिक स्थलों में केवल दो मंदिरों की आय 50 लाख से अधिक है. इसमें सबसे अधिक गरीबनाथ मंदिर मुजफ्फरपुर का आय एक करोड़ के करीब है. इसके बाद बाबा हरिहरनाथ मंदिर सोनपुर की आय का लगभग एक करोड़ है. इसके बाद सूची में शामिल अन्य मंदिरों की वार्षिक आय 50 लाख से कम हैं.
बिहार में 50 लाख से अधिक आय वाले धार्मिक स्थल
बिहार में पचास लाख से अधिक वार्षिक आय वाले मंदिरों में कैमूर स्थित मुंडेश्वरी धाम, लखीसराय स्थित अशोक धाम और बड़हिया स्थान, सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर, खुशरूपुर के पास बैकण्ठ पुर शामिल है. श्रावणी मेला के लिए जारी सरकार की लिस्ट में 50 लाख से भी कम आय वाले मंदिरों के नाम शामिल हैं.
सलाना 14 लाख रुपया टैक्स देती है सिंहेश्वर मंदिर न्यास
बाबा सिंहेश्वरनाथ मंदिर को होने वाली आय का सलाना 4 प्रतिशत करीब 14 लाख रुपया टैक्स सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति बिहार धार्मिक न्यास पर्षद पटना देती हैै. सिंहेश्वर मंदिर में चढ़ावा, मुंडन, उपनयन, शादी विवाह, जलकर फलकर, जमीन, मवेशी हाट, स्थायी दुकानदार, अस्थायी दुकानदार, पार्किंग, गाड़ी पूजा, विशेष पूजा, वाहन न्योछावर एवं घंटा घंटी सहित करीब साढ़े तीन करोड़ आय होती है.
बिहार में सबसे बड़ा है बाबा सिंहेश्वरनाथ का शिव मंदिर
डीएम ने विभाग को पत्र लिखा है की सिंहेश्वर स्थित शिव मंदिर बिहार में सबसे बड़ा शिव मंदिर है. श्रावण मास में सिंहेश्वर स्थान स्थित शिव मंदिर में पड़ोसी देश नेपाल एवं राज्य के विभिन्न जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. राज्य के सभी मंदिरों का पंजीकरण बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद करती है. सभी मंदिर अपने आय का एक निश्चित हिस्सा राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को भुगतान करती है.
सावन में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं सिंहेश्वर
सरकार द्वारा राज्य में 14 स्थानों पर लगाए जाने वाले श्रावणी मेले में सिंहेश्वर स्थान का नाम नहीं है. राजस्व विभाग ने श्रावणी मेले के लिए इन स्थानों का चयन किया है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। राजस्व विभाग द्वारा जारी की गई सूची में सिंहेश्वर स्थान का नाम नहीं देखकर लोग आश्चर्य चकित है. इस बात को लेकर काफी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है. बिहार में अभी सबसे बड़ा शिव मंदिर सिंहेश्वर स्थान ही है. जब बिहार झारखंड एक हुआ करता था उस समय यह दूसरे स्थान पर था. लेकिन विहार से झारखंड के अलग होने के बाद से सिंहेश्वर स्थान को बिहारी बाबा घाम कहा जाने लगा है. इसके वावजूद राज्य में जब श्रावणी मेला लगाने का निर्णय लिया गया तो उसमे सिंहेश्वर स्थान का नाम ही नहीं शामिल किया गया. जबकि एतिहासिक तथ्य, राजस्व व श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए सूची में पहला नाम सिंहेश्वर स्थान का है.
वहीं जिला पदाधिकारी सह अध्यक्ष, सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के द्वारा अपर मुख्य सचिव, राजस्व विभाग को पत्र प्रेषित करते हुए श्रावणी मेले की सूची में सिंहेश्वर स्थान के नाम को अंकित करने की दिशा में अग्रेत्तर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है.
(रिपोर्ट:- सुनीत साना)
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