“जिदंगी बेरहम हो तो हो, मौत भी बेरहम हो गई थी” - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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26 अप्रैल 2016

“जिदंगी बेरहम हो तो हो, मौत भी बेरहम हो गई थी”

जहाँ हर रोज हम अखबार न्यूज़ चेनल के माध्यम से देखते है और सुनते है कि दुनिया के करोड़पतियो अरबपतियों या फिर सबसे आमिर लोंग का नाम हमारे सामने आता है. इसी दौर में कुछ ऐसे भी लोग है जिस पर ना हमारी नजर पड़ती है ना ही प्रसाशन की. जो हर रोज दाने-दाने को मोहताज रहते है. इसी दौर में नवाचार रंग मंडल ने स्थानीय वेदव्यास महाविद्यालय के प्रागंण में रविवार को फंदी नाम नाटक का मंचन किया गया. जिसका विधिवत उद्घाटन डॉ रामचंद्र प्रसाद मंडल,डॉ श्यामल किशोर यादव,डॉ विनय चौधरी, श्री दशरथ प्रसाद सिंह “कुलिस”,डॉ ललन कुमार अद्री, श्री चिरामणि प्रसाद यादव, श्री दिलीप कुमार, नौशाद आलम, ध्यानी यादव, डॉ आलोक कुमार, अभय कुमार मनोज, अमित सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. नाटक फंदी में दिखाया गया की फंदी के बाप को कैसर था जिस कारण वह ना जीता था ना ही मरता था.बस चौबीसों घंटे एक ही रट लगाए रहता था “मै मरना चाहता हूँ- मै मरना चाहता हूँ” फंदी के पास बाप के इलाज के लिये पैसे नहीं थे. फंदी का बाप का चीखना चिल्लाना उसका कलेजा चीर रहा था.वह हर घड़ी मौत ही मांग रहता था. “जिदंगी बेरहम हो तो मौत भी बेरहम हो गई थी” और ना जाने कैसे फंदी का हाथ बाप के गले की ओर बढ़ा. ना जाने उसकी अंगुलिया कैसे उसके बाप के गले को कसने लगी फिर भी इस स्थिति में उसका बाप हंस रहा था.जैसे उसको मनचाही मुराद मिल रही हो और अंत में उसका बाप मर गया या फिर यूँ कहे कि फंदी ने अपने बाप को मार डाला. उसके बात स्थानीय विद्यालय सदाशिव नॉलेज टेम्पल के अनुपम अलबेला, अभिषेक कुमार आलोक कुमार के द्वारा स्वागत गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया गया. कार्यक्रम के अंत में मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय से उत्तीर्ण छात्र मो० शहंशाह द्वारा निर्देशित एवं शंकर शेष द्वारा लिखित नाटक का सफल मंचन किया गया.जिसमे अमित आन्दन,मिथुन गुप्ता,सुनीत साना ने नाटक की जिविंत प्रस्तुति से दर्शकों के दिल में अपनी जगह बना ली. नाटक के सफल मंचन में अमित कुमार सिंह अंशु, मो० शनिउल्लाह काज़मी, दिलखुश कुमार, मो० जफ्फर आलम, मो० केशर, रवि कुमार, मो० इमरान, साहेब राज, मो० आतिफ, अंकित, कार्तिक, अमित विजय, राहुल, मन्नू का भरपूर सहयोग मिला.
(रिपोर्ट: मधेपुरा:- गरिमा उर्विशा)  

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