रविवार को सदर अस्पताल में इंजीनियरिंग कॉलेज के एक छात्र की इलाज के दौरान मौत हो गई. उसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने अस्पताल परिसर में पहुंचकर हंगामा कर पूरे अस्पताल में तोड़-फोड़ कर आगजनी किया.
छात्रों का आरोप था कि डॉक्टरों द्वारा इलाज करने में लापरवाही बरतने से इंजीनियरिंग के छात्र सत्यजीत की मौत हो गई. उसके बाद सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किसी तरह छात्रों को समझा-बुझाकर अस्पताल परिसर से बाहर निकाला.
छात्रों का आक्रोश थमने का नाम हीं नहीं ले रहा था, छात्रों ने सड़क जाम कर यातायात को बाधित कर टायर जलाकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. छात्रों द्वारा घंटों सड़क जाम किया गया. जिसके बाद सूचना मिलने पर डीएम,एसपी, एएसपी सहित वरीय पदाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को काबू में किया.
बताते चलें कि इंजीनियरिंग छात्र सत्यजीत कुमार शनिवार को सदर अस्पताल मधेपुरा में इलाज के लिए आया था. वहां डॉक्टरों द्वारा उसकी खून, पेशाब एवं अन्य जांच करवाई गई. उसके उपरांत उसे कुछ दवाई भी दी गई. दवाई चलने के बाद सत्यजीत की तबीयत में कोई सुधार नहीं आया तो सत्यजीत के दोस्तों ने रविवार को सुबह 5:00 बजे के आसपास उसे फिर से अस्पताल में भर्ती करवाया.
अब तक जांच की रिपोर्ट आ चुकी थी. डॉक्टरों ने जांच के रिपोर्ट के अनुसार बताया कि सत्यजीत के शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा 3.5 के आसपास है. सत्यजीत के साथियों का कहना है कि इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से सत्यजीत की मौत हुई है.
फिर क्या था सत्यजीत की मरने की खबर जैसे हीं इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को मिली तो उन्होंने अस्पताल परिसर में पहुंचकर तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया और मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट भी की.
उसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों द्वारा सड़क जाम को हटाने के लिए डीएम एवं एसपी ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच मजिस्ट्रेट के द्वारा करवाई जाएगी. जांच के बाद दोषी चिकित्सक पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
छात्रों का कहना था कि सत्यजीत के परिवार को इसका मुआवजा मिलना चाहिए. डीएम मो. सोहेल ने कहा कि मुआवजे के लिए वे प्रस्ताव भेजेंगे पर यह साइंस एंड टेक्नोलोजी विभाग हीं तय करेगी. अधिकारियों के आश्वासन के बाद छात्रों ने सड़क जाम को हटाया.
मृतक के परिजनों के आने के बाद बाहर से डॉ. बुलाकर शव का पोस्टमार्टम कराया गया. इस घटना के बाद सदर अस्पताल के कर्मी एवं डॉक्टर हड़ताल पर चले गये हैं. उन्होंने कहा कि हम लोग अस्पताल में असुरक्षित महसूस करते हैं इस लिए उनलोगों ने काम करने के इनकार कर दिया है.
डीएम मो. सोहैल ने कहा कि पहली नजर में लापरवाही का मामला प्रतीत हो रहा है. डॉक्टर द्वारा हीमोग्लोबिन की जांच कराई गयी थी. जब डॉक्टर ने देखा कि हीमोग्लोबिन कम है तो उसे तुरंत भर्ती कर लेना था.
अस्पताल में आइसीयू है और ब्लड बैंक भी है. मैजिस्ट्रेट जांच बिठाई गई है. जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. किसी भी सूरत में दोषी को बख्शा नहीं जायेगा. वहीं कानून व्यवस्था को हाथ में लेना भी सरासर गलत है. इस पर भी कार्रवाई होगी.