शिक्षा जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है: प्रो. राकेश - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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27 जुलाई 2020

शिक्षा जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है: प्रो. राकेश

मधेपुरा: शिक्षा सुखद एवं सफल जीवन जीने की कला है. यह एक सतत प्रक्रिया  है. यह गर्भाधान से ही शुरू होती है और मृत्युपर्यंत चलती रहती है. यह बात राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, भागलपुर एवं सहरसा के प्रधानाचार्य और टीएमबीयू, भागलपुर एवं बीएनएमयू, मधेपुरा के शिक्षा संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार ने कही.

वे सोमवार को यूट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद पर शिक्षाशास्त्र: एक दृष्टिकोण विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि शिक्षण से अभिप्राय सामान्यता ज्ञान या कौशल प्रदान करना है. इसके माध्यम से शिक्षार्थियों को अनुदेश या उपदेश दिया जाता है तथा प्रभावित एवं प्रेरित किया जाता  है. यह प्रयोग एवं उपयोग की गत्यात्मकता के लिए उत्प्रेरक का काम करता है.
उन्होंने कहा कि शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण सक्रिय प्रक्रिया है. इसका उद्देश्य मानव एवं समाज का सर्वांगीण विकास है. यह समाज में स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता को बढ़ावा देती है और हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनाती है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का ख्याल था कि शिक्षा नई तालीम है. यह जीवन के लिए दी जाने वाली शिक्षा है.

इससे सृष्टि संबंधित होती है. यह नवीनता एवं रचनात्मकता के साथ सृजनात्मकता को बढ़ावा देने वाली सतत प्रक्रिया है. रह हमारे शरीर, मन एवं आत्मा तीनों का सर्वांगीण विकास करती है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के तीन  आयाम हैं. प्रकृति, समाज एवं उद्योग. जाने-अनजाने में हम प्रकृति एवं समाज की अनदेखी कर रहे हैं. हम सिर्फ उद्योग पर ही जोर दे रहे हैं.

आज वैश्विक स्तर पर विकास का मापदंड सिर्फ अत्याधुनिक उद्योग ही रह गया है. इससे सामाजिक एवं प्राकृतिक क्षति हो रही है. हम सुख- सुविधाओं पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और सभ्यता-संस्कृति से दूर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि शिक्षाशास्त्र शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन है. यह शिक्षा के उद्देश्यों को शिक्षार्थियों तक शिक्षण गतिविधियों द्वारा सहजता के साथ पहुंचाता है.

इसके माध्यम से शिक्षा को एक सजीव गतिशील प्रक्रिया में प्रवृत्त किया जाता है. शिक्षाशास्त्र शिक्षार्थियों को वैसे तमाम अवसर मुहैया करवाने की कोशिश करता हैै. ज्ञानार्जन करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकें. उन्होंने कहा कि शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य अंतरक्रिया के द्वारा शिक्षा लक्ष्य की ओर उन्मुख होती है. हम शिक्षाशास्त्र के मूलभूत सिद्धांत द्वारा एक-दूसरे के व्यक्तित्व से लाभान्वित एवं प्रभावित होते हैं.

शिक्षाशास्त्र शिक्षार्थियों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित करती है, ज्यादा दयालु, ज्यादा सुंदर, ज्यादा प्रेमपूर्ण और ज्यादा रचनात्मक हो. शिक्षार्थी अपनी हिम्मत एवं कल्पनाशीलता से वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है. उन्होंने कहा कि शिक्षार्थियों में असीम  शक्ति है. वे विपरीत परिस्थितियों में भी एक बेहतर समाज बना सकते हैं. शिक्षाशास्त्र लक्ष्य पर डटे रहने के लिए प्रेरित करती है. शिक्षाशास्त्र के विभिन्न सिद्धांतों का उपयोग कर कोरोना से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं और एक बेहतर समाज बना सकते हैं.

उन्होंने कहा कि मानवता एक बड़ा वैश्विक शरीर है. जो भी किसी एक को प्रभावित करता है, वह परोक्ष रूप से सभी को प्रभावित करता है. कोरोना के समय हमें मानवता रूपी वैश्विक शरीर को स्वस्थ रखने की चुनौती है. इसके लिए हमें स्वयं के साथ-साथ दूसरों के भी के शरीर, मन एवं आत्मा को स्वस्थ रखने का प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि ज्ञान तभी सार्थक है, जब हम उसका समुचित उपयोग करते हैं. शिक्षार्थी को सीखने के दिखावे से बचना चाहिए.

शिक्षार्थियों को शिक्षा का विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग करने के लिए प्रेरित होना चाहिए. अनुभव द्वारा हमारे मौलिक व्यवहारों में परिवर्तन की प्रक्रिया ही सीखना है. उन्होंने कहा कि सीखने की उम्र निर्धारित नहीं है. हर कोई हर एक पूर्व में सीखने और सिखाने की विधि में शामिल करें. सीखने की गति के लिए सुसंस्कृत अधिगम अनुकूल वातावरण तैयार करती है, जिसमें शिक्षार्थी की रूचि अभिव्यक्ति का ध्यान सम्मान के साथ लिया जाता है.

उन्होंने कहा कि शिक्षाशास्त्र हमें  खुशनुमा जिंदगी जीने के लिए, लोगों को जीवंत बनाने के लिए लक्ष्य से जोड़ना सिखाती है. कार्य के प्रति महारत हासिल करने की प्रेरणा देती है. उत्साह में बहुत अधिक शक्ति होती है. इस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे एक उत्साहित व्यक्ति हासिल ना कर सके. उन्होंने कहा कि कोविड-19 अमृतान्वेषी मानव को अस्तित्वविहीन कर देना चाहता है. लेकिन कोरोना हारेगा और मानवता जीतेगी.

मानव की शिक्षा अपना विजय पताका अवश्य लहर आएगी. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण शिक्षा जगत में आए ठहराव को आभासी प्लेटफार्म के माध्यम से गत्यात्मकता प्रदान करने तथा उसकी दशा एवं दिशा सुनिश्चित करने की जरूरत है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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