इसके बाद गन्ने के रस, गुड़, दूध की खीर और पूड़ी का भोग जलाकर खरना ग्रहण किया, साथ ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत को शुरू कर दिया. खरना ग्रहण करने के बाद व्रतियों ने पारम्परित छठ मइया के गीत जनकपुर मइहर दीह बेटी सीता-सम्मान, मांगिला हम वरदान ए छठी मइया, आधर लोग राह रोके, सूरज होहि न सहाय गाकर पूजा और अर्चना की.
दोपहर तक चलता रहा खरीदारी का दौरसूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा में गुरुवार को खरीदारी का दौर चलता रहा. व्रतियों व उनके परिजनों ने पूजा की सामग्री को खरीदारी की. छठ के रंग में पूरा शहर नजर आया. छठ पर्व पर विशेष महत्व रखने वाले ठेकुआ बनाने के लिए व्रतियों ने गेहूं को धुला. उसे सुखाने के बाद पूरी शुद्धता के साथ पीसकर तैयार किया.
डूबते और उगते सूर्य को अघ्र्य देगीं
खरना ग्रहण करने के 24 घंटे के बाद अस्तगामी सूर्य भगवान को प्रथम अघ्र्य गंगा जल, दूध का नदी तट पर अर्पण नदी पर किया जाता है. अगले दिन सुबह में उगते हुए सूर्य को जल अर्पित कर व्रत का समापन किया जाएगा.
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