मधेपुरा: बिहार में सरकार का फरमान है कि सुबह दस बजे तक दुकानें खुली रहेगी और सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ को रोकना प्रशासन की जवाबदेही होगी लेकिन मधेपुरा जिला अंतर्गत विभिन्न प्रखंडों में इसका कोई असर देखने को नहीं मिलता है जिसका परिणाम है कि सुबह छ बजे से ग्यारह बजे तक बाजार जाम से कराहता रहता है और पुलिस के जवान दूर दूर तक नजर नहीं आते दस बजे के बाद प्रशासन की गाड़ी दो तीन बार दौड़ती रहती है फिर चोरी छिपे दुकान दुकान दिन भर चलता रहता है.
अगर इसपर प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार नहीं किया तो अभी तक बाल बाल बचे मधेपुरा जिला ने में कभी भी कोरोना विस्फोट हो सकता है।ये बाते वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने मधेपुरा के जिला व पुलिस प्रशासन की लचर व्यवस्था पर ऐतराज जताते हुए कही. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां कागज पर सबकुछ ठीक होने की दलील मुख्यमंत्री को लगातार दी जा रही है वहीं दूसरी ओर जिले में कोरोना से जुड़े विभिन्न सेंटरों पर डीएम के दौरे से पहले सबकुछ दुरुस्त कर उन्हें खुश करने की परम्परा सी चल पड़ी है डीएम के निकलते ही व्यवस्था फिर पूर्ववत हो जाती है.
छात्र नेता राठौर ने कहा कि दुखद है कि एक ओर जहां प्रशासन की व्यवस्था लचर है वहीं दूसरी ओर आम आदमी भी लापरवाह बने हुए हैं. सिंहेश्वर सहित अन्य प्रखंडों की हर रोज की जाम का हवाला देते हुए राठौर ने डीएम से मांग किया कि कोरोना से जंग में कड़े कदम उठाए जाएं और सरकार के निर्देशों को गम्भीरता से पालन किया जाए जिससे जिला जंग जीत पूर्ववत पटरी पर लौट सके. बाजार की जाम और चोरी छिपे खुल रहे दुकानों पर प्रशासन के मौन रहने व गांवों में लग रहे हाट को बन्द करने की कारवाई पर आपत्ति जताते हुए राठौर ने कहा कि एकरूपता के साथ अगर जल्दी कदम नहीं उठाए गए तो जनजीवन पटरी पर लौटने का इंतजार बहुत लंबा हो सकता है और लोगों की परेशानी भी बढ़ सकती है.
उन्होंने कहा विभिन्न सेंटरों पर भी लॉक डाउन,सोशल डिस्टेंस के नियमों की धज्जियां जम कर उड़ाई जा रही है खासकर बैंकों की हालत नाजुक है. संगठन की ओर से राठौर ने मांग किया कि आम आदमी भी सजगता का परिचय दें और प्रशासन को सहयोग करें. संगठन लगातार आमलोगों को जागरूक कर कोरोना से जंग में सकारात्मक सहयोग की अपील कर रहा है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)