मधेपुरा के चालीस साल का सफर उपलब्धियों से भरा, आगे और ऊंचाइयों पर ले जाने की जरूरत - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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8 मई 2022

मधेपुरा के चालीस साल का सफर उपलब्धियों से भरा, आगे और ऊंचाइयों पर ले जाने की जरूरत

मधेपुरा: नौ मई 1981 को मधेपुरा व उदाकिशुनगंज अनुमंडल के साथ बिहार के नक्शे पर जिला के रूप में आया मधेपुरा समय के रफ्तार के साथ निरन्तर ख्ट्टे मीठे अनुभवों को ले हर क्षेत्रों में अनेकों उपलब्धि प्राप्त की. हमेशा देश व राज्य की राजनीति में दबदबा कायम के लिए चर्चित मधेपुरा ने समय की धारा के साथ हर क्षेत्र में खुद को समृद्ध किया शिक्षा के क्षेत्र में तीन दशक पूरा कर चुका बीएन मण्डल विश्वविद्यालय, बिहार के बड़े अत्याधुनिक मेडिकल कालेजों में से एक जननायक मेडिकल कॉलेज, बीपी मण्डल इंजीनियरिंग कॉलेज व अन्य अनेकों स स्थान जहां इस पिछड़े क्षेत्र को शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में मजबूती दे रहा वहीं भारत का एकमात्र विद्युत रेलवे इंजन कारखाना यहां रोजगार के कई विकल्पों का द्वार खोल रहा है. 

नारियल विकास बोर्ड व विभिन्न स्तरों पर औषधीय पौधों की खेती राष्ट्रीय फलक पर पहचान दे रही है. बड़े  सामाजिक, सांस्कृतिक व खेल के आयोजनों के लिए टाउन हॉल,कला भवन, इंडोर स्टेडियम, स्टेडियम व कई सभागार सक्षम केंद्र है. बाजार में लगातार विभिन्न स्तरों पर खुल रहे शोरूम व दुकान बाजार को मजबूती दे रहे हैं. कई छोटी बड़ी कम्पनियों का शुरू होना रोजगार को बढ़ावा दे रहा है. लंबे समय से मांग के बाद पिछले कुछ समय में बने सुलभ शौचालय,जगह जगह लगे गीला व सूखा कचड़ा हेतु डस्टबिन, गली गली में लगाए गए भेपर शहर की सूरत में बदलाव को बयां करते नजर आते हैं.  
भविष्य की महत्वपूर्ण जरूरतें

निसंदेह मधेपुरा के चालीस वर्षों का सफर विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों से भरा है लेकिन कई अति विशिष्ट जरूरतें अभी भी किसी तारणहार की बाट जोह रही हैं अन्तर्राष्ट्रीय फलक के विद्युत रेलवे इंजन कारखाना, राष्ट्रीय स्तर के केंद्रों में विश्वविद्यालय, नारियल विकास बोर्ड, मेडिकल कॉलेज होने के कारण हवाई अड्डा मधेपुरा की सबसे बड़ी जरूरत के रूप में सामने है. क्योंकि हवाई अड्डा नहीं हो पाने के कारण दूसरे देशों व राज्यों से विद्युत इंजन कारखाना हेतु इंजीनियरों, शिक्षकों को विश्वविद्यालय, डॉक्टरों को स्वास्थ्य केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों को मधेपुरा आना आसान नहीं होता अगर आते भी हैं तो लंबा समय लगता है. 

ऐसा नहीं है कि इसको लेकर आवाज नहीं उठी वर्षों से कई बार आवाज उठी लेकिन मजबूती से आगे नहीं बढ़ पाई. अगर इसको मुद्दा बनाकर ईमानदारी से पहल हो तो जिले को जहां बड़ा तोहफा मिलेगा वहीं विभिन्न स्तरों पर विकास को पंख भी लगेगा. बहुप्रतीक्षित आडिटोरियम बनकर वर्षों से तैयार है लेकिन कुछ छोटी छोटी कमियों के कारण अभी तक शुरू नहीं हो सका अगर कमियों को दूर लिया जाए तो बड़े आयोजनों में सुविधा रहेगी. जिला मुख्यालय का एकमात्र केंद्रीय पुस्तकालय कई ऐतिहासिक यादों का संग्रह है लेकिन उचित देखभाल के अभाव में उसकी पहचान विलुप्त हो रही है. जिला बनने के चालीस साल बाद भी मधेपुरा को सुचारू मुक्तिधाम नसीब नहीं हो पाया बढ़ती आबादी और शहर विस्तार के बीच यह बड़ी जरूरत बन कर उभरी है.  
जिला का गजेटियर नहीं होना दुखद

जिला बनने के चालीस साल बाद भी जिला प्रशासन द्वारा जिला का गजेटियर नहीं बनना दुखद है. कोसी में मधेपुरा से पहले जिला बने सहरसा व बाद में जिला बने सुपौल के पास गजेटियर है लेकिन बहुत मामलों में दोनों जिलों से बहुत आगे होने के बाद भी मधेपुरा का अपना गजेटियर नहीं होने से कई स्तरों पर परेशानी होती है. खासकर राज्य सरकार को जिला के लिए बजट बनाने में कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. कई बार सरकार के स्तर से पत्र जारी कर गजेटियर प्रकाशित करवाने की बात की गई. लेकिन जिला प्रशासन द्वारा ईमानदार पहल नहीं होने के कारण यह सम्भव नहीं हो सका. इसके प्रकाशन से जिला के ऐतिहासिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक, कृषि व विभिन्न क्षेत्रों की उपलब्धि को संग्रहित किया जा सकेगा. 

हर प्रकार से सम्पन्न होने के बाद भी दूर की ट्रेनों का परिचालन मधेपुरा से नहीं होने से लोगों को सहरसा जाना पड़ता है जबकि कभी मधेपुरा से दूसरे प्रदेशों के लिए भी ट्रेनों की सुविधा भी. वर्तमान में राज्य व देश की राजधानी के लिए  मधेपुरा से ट्रेन की सुविधा बड़ी जरूरत है. 

 लर्न, अर्न व रिटर्न की भावना से बढ़ेगा मधेपुरा

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मधेपुरा के जिला बनने से अबतक का सफर उपलब्धियों भरा रहा है विभिन्न क्षेत्रों में आशातीत सफलता भी मिली है लेकिन अभी सफर लंबा बाकी है. जिले के विकास के लिए जरूरी है कि जिलेवासी के अंदर लर्न, अर्न व रिटर्न की भावना पनपे जिससे यहां के लोग सीखने जीवन यापन के लिए कमाने व कमाई का कुछ हिस्सा जिला के उत्थान में लगाने का काम करें ऐसा करके मधेपुरा को बहुत आगे ले जाया जा सकता है.
(रिपोर्ट:- हर्ष वर्धन सिंह राठौर)
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