मधेपुरा: समय- समय पर बीएनएमयू अपनी वेबसाइट से जुड़े बिंदुओं को लेकर चर्चा में रहा है अभी तक दुरुस्त सूचना देने में सबल नहीं हो सका जो दुखद है. वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बीएनएमयू के वेवसाइट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिन प्रधानाचार्य व पदाधिकारियों को सेवानिवृत हुए काफी समय हो गए आखिर उन्हें किस हालात में बीएनएमयू अभी भी उक्त पद पर दिखा रहा हैै. बीएनएमयू कुलपति व कुलसचिव को लिखे पत्र में राठौर ने संगठन की नाराजगी जताते हुए इसे कुव्यवस्था और अराजकता की पराकाष्ठा बताया और कहा कि आखिर बीएनएमयू का और कितना मजाक बनता रहेगा लाखों के वेतन लेने वाले पदाधिकारी किस काम के लिए हैं.
लिखे पत्र के साथ संलग्न साक्ष्य में एआईएसएफ प्रभारी राठौर ने कहा कि रमेश झा महिला कॉलेज सहरसा की प्रधानाचार्य डॉ रेणु सिंह, टी पी कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो के पी यादव,कॉमर्स कॉलेज के प्रधानाचार्य, आर एम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अनिल कांत मिश्रा व कई अन्य कब के सेवानिवृत्त हुए लेकिन वर्तमान में भी सम्बन्धित कॉलेज के प्रधानाचार्य के रूप में उन्हें दिखाया गया है वहीं विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में आज भी प्रो बद्री प्रसाद यादव को प्रो इंचार्ज दिखाना रही सही कसर पूरी कर रहा है जबकि उनके सेवानिवृत हुए काफी लंबा समय हो गया है. इधर ताजा तरिन मामला भी कम दिलचस्प नहीं है छात्र कल्याण पदाधिकारी डॉ पवन कुमार एम एल टी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य बना दिए गए, पीआरओ डॉ सुधांशु शेखर को पद मुक्त किया गया, परिसंपदा पदाधिकारी डॉ बिजेंद्र यादव बहुत पहले पद मुक्त हो गए लेकिन आलम यह है कि बीएनएमयू का वेबसाइट आज भी उन्हें उक्त पद पर दिखा रहा है.
एआईएसएफ नेता राठौर ने इस बात को लेकर बीएनएमयू की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़ी सूचना देने के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म पर इस प्रकार की बवंडर गलतियां कई बिंदुओं पर संदेह को जन्म दे रही है. इससे बड़े स्तर पर आम लोगों को गलत जानकारियां ही प्राप्त होती है. वहीं ओर न जाने किसकी गलती से बहुत पहले अपना कार्यकाल खत्म कर चुके कुलसचिव रहे प्रो कपिलदेव यादव को यूजीसी वेबसाइट आज भी बतौर बीएनएमयू कुलसचिव दिखा रहा है जबकि वर्तमान कुलसचिव प्रो मिहिर के कार्यकाल के लगभग एक साल होने को है.
सरकारी उपक्रम एनआईसी के बजाय प्राइवेट कंपनी से वेबसाइट मेंटनेंस कराने पर भी ऐसी हालत गोलमाल का सूचक.
एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सामान्य रूप से सरकारी कार्यालयों व बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों में वेबसाइट मेंटेनेंस का काम भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआईसी द्वारा सफलता पूर्वक निशुल्क किया जा रहा है लेकिन कमिशन के खेल के लिए बीएनएमयू प्राइवेट कंपनी को लाखों रुपए देकर मेंटेनेंस करवाती है उसके बाद भी यह हालत है. एक ओर एनआईसी द्वारा मेंटेनेंस मधेपुरा जिला प्रशासन के दुरुस्त वेबसाइट का हवाला देते हुए राठौर ने कहा कि एनआईसी द्वारा कई बार निशुल्क सेवा के अनुरोध के बाद भी बीएनएमयू प्रशासन ने उसे तरजीह देने के बजाय प्राइवेट कंपनी को लाखो देकर काम कराना जरूरी समझा जो कई स्तरों पर गोपनीयता के नजर में सुरक्षित भी नहीं प्रतीत होता उसके वावजूद भी यह फजीहत झेलनी पड़ रही. राठौर ने मांग किया कि इन सारे बिंदुओं पर गम्भीरता दिखाते हुए अविलंब सूचना को सुधार करते हुए सही किया जाए साथ ही वेबसाइट मेंटेनैंस की जिम्मेदारी भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआईसी को सौंपा जाए जिससे गोपनीयता पर कोई खतरा भी न रहे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....