मधेपुरा: बीएनएमयू के लिए गले में फंसा हड्डी साबित हो चुका बीएड प्रकरण में रोज कोई न कोई नया अध्याय जुड़ता जा रहा है. दो दिसम्बर को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा बीएड प्रकरण पर कारवाई के आए फैसले पर कारवाई को ले लगातार दबाव झेल रही बीएनएमयू ने मंगलवार देर शाम पहली कारवाई करते हुए प्रोफेसर इंचार्ज को उनके पद से हटा दिया. इस पर एआईएसएफ बीएनएमयू इकाई के प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने स्वागत करते हुए कहा जिस कारवाई को बहुत पहले करना चाहिए था उसे करने में विश्वविद्यालय ने दो साल बर्बाद ही नहीं किए बल्कि क्लास के लिए लालयित छात्र को कोर्ट के चक्कर में पिसवा दिया और दर्जनों निर्दोष छात्रों को बली का बकरा बना दियाा.
छात्र नेता राठौर ने बीएनएमयू के कारवाई की शैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए कहा कि जब कोर्ट ने कारवाई का साफ आदेश दे दिया है दोषी पदाधिकारी क्लियर है तब कारवाई में इतनी सुस्ती क्योंं. बीएनएमयू कुलपति व कुलसचिव को पत्र लिख राठौर ने अविलंब दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय हर हाल में तथाकथित प्रोफेसर इंचार्ज के उस पद को खत्म करे जिसका उल्लेख विश्वविद्यालय के नियम कानून पुस्तिका में है ही नहीं. समय समय पर आंदोलनों व सिंडिकेट में इसको लेकर आवाज उठती रही. विवि की कार्यशैली पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए राठौर ने कहा कि यह अद्भुत आश्चर्य है कि स्थापना काल से कर्मचारियों के सारे पद खाली हैं लेकिन उसकी भरपाई लगातार मांग के बाद भी नहीं हो पा रही लेकिन जो पद ही नहीं उसको जबरन लाद कर धोया जा रहा हैै.
वाम छात्र संगठन एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हर हाल में इस बनावटी छद्म प्रोफेसर इंचार्ज के पद को खत्म किया क्योंकि यह हमेशा चर्चा में विवाद का केंद्र बिंदु रहा. वहीं राठौर ने कहा कि विभाग के सफल संचालन के लिए जरूरी हो तो डी एस डब्लयू अथवा रजिस्टार को पदेन जिम्मेदारी दी जाए जिससे विधि व्यवस्था भी दुरुस्त रहेगी व माहौल सुधरेगा।लिखे पत्र में राठौर ने वर्षों से कर्मचारी नियुक्ति के मांग के बाद भी पहल नहीं होने पर नाराजगी जाहिर करते अविलंब स्थापना काल से खाली पदों पर बहाली की मांग की. राठौर ने बीएड से पनपे सभी विवादों के लिए विश्वविद्यालय की कार्यशैली को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में कारवाई करते हुए अविलंब पीड़ित छात्र को हर्जाना उपलब्ध कराया जाए.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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