बुजुर्ग होना अभिशाप नहीं है: डा. फारूक अली - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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6 दिसंबर 2022

बुजुर्ग होना अभिशाप नहीं है: डा. फारूक अली

मधेपुरा: उम्र बढ़ना एक सहज प्रक्रिया है. हमारी उम्र बढ़नी तय है और हम उसे रोक नहीं सकते हैं. इसलिए उम्र बढ़ने को लेकर बेवजह तनाव नहीं लें, बल्कि इसे सहजता से स्वीकार करें. यह बात जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति सह बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व प्रति कुलपति प्रो. (डाॅ.) फारूक अली ने कही. वे सोमवार को बुजुर्गों की स्वास्थ्य समस्याएं एवं समाधान विषयक सेहत संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे. यह आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के सौजन्य से संचालित सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया. 

उन्होंने कहा कि युवावस्था में ऊर्जा उफान पर होती है. लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे ऊर्जा का क्षय होता है. बुढ़ापा आते-आते हमारी ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है और हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. ऐसे में बुढ़ापा में बीमारियों का बढ़ना स्वाभाविक है. लेकिन हम अपनी सोच को बदलकर इससे होने वाली परेशानियों को कम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग अपने आपको सक्रिय रखने का प्रयास करें. अपने अंदर के एकाकीपन से बाहर निकलें और जीवन में सामूहिकता को अपनाएं. साथ ही पीढ़ियों के अंतर को पाटते हुए नई पीढ़ी के साथ अपना तालमेल बनाने का प्रयास करें. 


उन्होंने कहा कि बुजुर्ग हमारे समाज एवं राष्ट्र की धरोहर हैं. इनकी सुविधाओं का ख्याल रखना हमारे सरकार, समाज एवं हम सबों की जिम्मेदारी है. हमें यह समझना होगा कि भारत में हम वृद्धाश्रम बनाकर बुजुर्गों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते हैं. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पंडित मदन मोहन मालवीय हास्पिटल, दिल्ली सरकार, दिल्ली में इमर्जेंसी मेडिकल यूनिट के इंचार्ज डा. एम. एस. प्रियदर्शी ने बताया कि भारत में 60 से अधिक उम्र के लोगों को बुजुर्ग माना जाता है. भारत में कुल आबादी का आठ प्रतिशत बुजुर्ग हैं. यहां लोगों की औसत आयु 70 है. इटली एवं जापान में इससे भी औसत आयु इससे भी अधिक है. इसलिए वहां बुजुर्गों की संख्या भी अधिक हैंं. ये बुजुर्ग हमारे लिए बोझ नहीं हैं, बल्कि वे हमारी धरोहर हैं. 


उन्होंने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ हमारी ऊर्जा कम होने लगती हैं और हमारे विभिन्न अंगों का क्षय होने लगता है. खासकर दिखना, सुनना एवं चलना कम हो जाता है और यादाश्त भी कम हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि बच्चे एवं बुजुर्ग सबसे अधिक बीमारी पड़ते हैं. जब बच्चा छोटा होता है, तो उसे अपने माता−पिता या किसी अन्य बड़े व्यक्ति की देखभाल की जरूरत होती है. ठीक उसी तरह, जब व्यक्ति बूढ़ा हो जाता है, तो भी उसकी देखरेख के लिए किसी व्यस्क व्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है. हम बुजुर्गों से प्यार करें, उनका सम्मान करें और उन्हें किसी न किसी बहाने सक्रिय एवं खुश रखें. 


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के पूर्व पीआई एवं पब्लिक हेल्थ इम्पावरमेंट एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन के सीईओ डाॅ. विनीत भार्गव ने कहा कि सेहत संवाद का आयोजन एक सराहनीय कदम है. इससे आम लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर ने की।अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने किया. संचालन शोधार्थी सारंग तनय ने किया. तकनीकी पक्ष गौरव कुमार सिंह एवं सौरभ कुमार चौहान ने संभाला. स्वयं प्रिया एवं अन्य ने प्रश्न पुछकर चर्चा को जीवंत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. 


इस अवसर पर डॉ. राकेश कुमार, डाॅ. बृजेश कुमार सिंह, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. देबाशीष, राजदीप कुमार, डेविड यादव, डॉ. मणिशंकर, हिमांशु शेखर, नीरज कुमार, चंदन कर्ण, पवन सिंह, डॉ. आरती झा, डॉ. मनोज कुमार, पल्लवी राय, राॅकी राज, गुलफशाह परवीन, नीरज कुमार, राजदीप कुमार, राजेश कुमार पाठक, गणेश, विवेक कुमार, जयश्री आदि उपस्थित थे.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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