मधेपुरा: समाजसेवी-साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी की अध्यक्षता में उनके वृंदावन आवासीय परिसर में रविवार को ज्ञानदीप निकेतन के छात्रों एवं निदेशक चिरामणि यादव की मौजूदगी में विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया. डॉ. मधेपुरी ने छात्रों के बीच अपनी स्वलिखित पुस्तकें वितरित करते हुए कहा कि 1564 ई. में आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहने वाले विलियम शेक्सपियर की कालजयी कृतियों का विश्व की लगभग समस्त भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से आज के दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.
उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा किताबों के संकलन को देखकर ही आप उसकी विद्वता एवं व्यक्तित्व का अंदाजा लगा सकते हैं. सिंबल ऑफ नॉलेज के प्रतीक डॉ. आंबेडकर के निजी पुस्तकालय में 35 हजार किताबें थी. सुंदर साहित्य ही युवाओं को ज्ञानवान, संस्कारित व चरित्रवान बनाता है. हिमांशु, अमन, आदित्य, अभिमन्यु, अश्मित, अभिषेक और प्रियांशु कुमार आदि को स्वरचित पुस्तकें इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल, रासबिहारी लाल मंडल: पराधीन भारत में स्वाधीन सोच, दृष्टिकोण, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी स्वप्न स्वप्न और स्वप्न तथा छोटा लक्ष्य एक अपराध है का वितरण किया.
(रिपोर्ट:- मनीष कुमार)
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