विशिष्ट अतिथि उप कुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि बच्चे ही समाज एवं राष्ट्र के भविष्य हैं. उनको समग्र विकास का समुचित अवसर मिलना चाहिए. माता-पिता के साथ-साथ समाज एवं सरकार को भी बच्चों के ऊपर सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चे भगवान के रूप होते हैं. कोई भी बच्चा जन्म से अपराधी नहीं होता है. यदि हम बच्चों को परिवार एवं समाज में बेहतर माहौल उपलब्ध कराएंगे और सभी बच्चों को समुचित पोषण एवं शिक्षण उपलब्ध कराएंगे, तो बाल अपराध में निश्चित रूप से कमी आएगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने में मनोविज्ञान की महती भूमिका है. बच्चों का बेहतर काउंसलिंग करके हम उन्हें बाल अपराध से दूर रख सकते हैं.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए अतिथि व्याख्याता डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि आधुनिक युग में समाज में मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. आज सभी उम्र के लोगों को मनोवैज्ञानिकों के सलाह की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में मनोचिकित्सकों एवं काउंसलरों का मांग बढ़ी है. इससे मनोविज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं. कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पाग एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर प्रियंका भारती, पूनम, जुगनू, अंजलि शिवानी, खुशबू, कुंदन, झूमा, मोनिका जोशी, कोमल, नूतन, विमल कुमार, उदय, प्रवेश कुमार, मिथिलेश कुमार मंडल, बबलू कुमार, मनीषा कुमारी, आंचल कुमारी गुप्ता, सोनम, सोनाली, बबली, लवली कुमारी, पूजा, साधना, किंशु आदि ने शोध-पत्र प्रस्तुत किया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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