मधेपुरा: शुक्रवार को बीएनएमयू के नए परिसर में बने मुख्य द्वार के उद्घाटन के साथ ही उपजे विवाद पर एआईएसएफ बीएनएमयू ने संज्ञान लिया है. संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि यह पूरा प्रकरण ही उलझी हुई पहेली है और उसकी जिम्मेदार बीएनएमयू है. नौ से दस अरब का वार्षिक बजट बनाने वाले बीएनएमयू को नए परिसर का मुख्य द्वार विश्वविद्यालय मद से किसी ऐसी हस्ती के नाम पर बनाना चाहिए जिनका मधेपुरा में अकाट्य व्यापक योगदान हो. राठौर ने सवालिए लहजे में कहा कि सिंडिकेट,सीनेट में दाता के योगदान से गेट बनाने की बात आई थी न की दाता के नाम पर ही बनाने का निर्णय हुआ था ऐसे में यह हरकत बीएनएमयू के उच्च सदनों का भी अपमान है. वहीं राठौर ने इस बात को हास्यास्पद बताया और दुनिया की पहली घटना बताया जहां जिंदा आदमी के नाम पर ही गेट बना हो. उन्होंने कहा कि इससे वर्तमान छात्र युवा पीढ़ी को गलत संदेश जाएगा. गेट और द्वार का निर्माण हमेशा से दिवंगत आत्मा के नाम पर ही होने का इतिहास रहा है न कि किसी जिंदा आदमी के नाम पर. वहीं राठौर ने इस पूरे प्रकरण में बीएनएमयू प्रशासन को भी घेरा है और कहा है कि सारे काम पदाधिकारियों की एक टीम के नेतृत्व में हुआ है ऐसे में इतनी बड़ी गलती बड़ी साजिश प्रतीत होती है. अविलंब इसमें सुधार हो और गेट का नाम किसी हस्ती संभव हो तो कोसी में शिक्षा जगत के विश्वकर्मा कीर्ति बाबू के नाम पर हो और संबंधित शिक्षक का नाम दाता के रुप में अंकित हो. राठौर ने मांग किया कि इससे पहले कि यह विवाद और गहराए और बीएनएमयू संग दाता को और फजीहत झेलनी पड़े उससे पहले संबंधित दाता शिक्षक को बड़ा दिल दिखाते हुए आगे बढ़कर अपना नाम हटा किसी नामचीन हस्ती के नाम पर गेट के नामकरण का प्रस्ताव विश्वविद्यालय को देना चाहिए जिससे उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी और उपजे विवाद के साथ गलत परंपरा शुरू होने की संभावना पर विराम भी लगे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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