सिंडिकेट सीनेट से निर्णय के बाद आंबेडकर पीठ स्थापना में उदासीनता दुखद - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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13 अप्रैल 2024

सिंडिकेट सीनेट से निर्णय के बाद आंबेडकर पीठ स्थापना में उदासीनता दुखद

मधेपुरा: सिंबल ऑफ नॉलेज के उपनाम से मशहूर भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बीएनएमयू कुलपति को पत्र लिखकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जैसी विलक्षण प्रतिभा के नाम पर शोध को बढ़ावा देने के लिए पीठ की स्थापना की सिंडिकेट, सीनेट में चर्चा और निर्णय के बाद पहल के बजाय भुला देने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे कथनी और करनी में अंतर बताया है. राठौर ने कहा कि बीएनएमयू में लम्बे समय से शोध कार्य को गति प्रदान करने के लिए बड़ी हस्तियों के नाम पर पीठ स्थापना की मांग उठती रही है. 

अंतराष्ट्रीय स्तर की हस्ती पर शोध कार्य की उम्मीद हो रही धूमिल

राठौर ने कहा कि तत्कालीन कुलपति प्रो. एके राय के कार्यकाल में इसको लेकर जोरसोर से पहल शुरू हुई थी, सिंडिकेट, सीनेट में गहन चर्चा के बाद उसके स्थापना का निर्णय लिया गया. उस समय ऐसा लगा था कि जल्द ही इसको लेकर पहल होगी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हस्ती डॉ आंबेडकर के नाम पर पीठ स्थापित होने से शोध कार्य का स्तर बीएनएमयू में नई परिभाषा स्थापित करेगा क्योंकि आंबेडकर वो हस्ती हैं जिनके नाम पर बिहार, भारत सहित दुनिया के कई देशों में पीठ स्थापित हैं और अनगिनत शोध जारी हैं. 

अपने फैसलों को जमीन पर उतारने में बीएनएमयू की नहीं रही अच्छी छवि

वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष राठौर ने कहा कि दुखद है स्थापना काल से अपने ही फैसलों को जमीन पर उतारने में अच्छी छवि नहीं रखने वाले बीएनएमयू प्रशासन ने सदन के निर्णय के बाद भी आंबेडकर पीठ स्थापना को साकार करने के बजाय इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जिससे बीएनएमयू को बड़ी क्षति हुई है. राठौर ने बताया कि डॉ आंबेडकर के नाम पर पीठ होने से उन पर शोध का व्यापक मौका मिलता क्योंकि वो अर्थशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, समाजशास्त्र, कानून, लोक प्रशासन, इतिहास, मानवशास्त्र, दर्शन शास्त्र, साहित्य की विलक्षण प्रतिभा रहे. पीठ स्थापित होने से बाहरी छात्रों का भी झुकाव बढ़ता. 


पत्र में राठौर ने कहा कि कितना दुखद है कि आंबेडकर के नाम पर निर्णय के बाद भी पीठ की स्थापना हो नहीं रही दूसरी तरफ एक अन्य पीठ लक्ष्मीनाथ गोसाई का निर्णय लिया है जो कई सवालों को जन्म देता है कि पहले का निर्णय लागू नहीं हो पाया उपर से दूसरा निर्णय लिया गया. आंबेडकर जयंती के पूर्व संध्या पर राठौर ने कहा कितना दुखद है बीएनएमयू स्थापना के बत्तीस साल बाद भी एक रिसर्च सेंटर अथवा शोध पीठ की स्थापना नहीं की जा सकी है उन्होंने मांग किया कि यथाशीघ्र आंबेडकर पीठ स्थापित करने की पहल शुरू की जाए जिससे बीएनएमयू में शोध को और व्यापक पहचान मिले.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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