उन्होंने कहा है कि वर्तमान कुलपति के द्वारा कुलानुशासक की नियुक्ति सवालों के घेरे में है. ऐसा व्यक्ति जिसके ऊपर पूर्व से ही विजिलेंस की जांच चल रही हो जो पूर्व से ही दागी हो ऐसे लोगों को विश्वविद्यालय में पदाधिकारी बनाकर वर्तमान कुलपति ने अपनी मनसा जाहिर कर दी है कि वह भी भ्रष्टाचारियों और छात्र विरोधी लोगों को तरजीह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान कुलानुशासक के ऊपर पूर्व में भी कई पदाधिकारी के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा है. इतना ही नहीं गलत कोटि में स्नातकोत्तर में नामांकन लेने के कारण उनकी डिग्री भी संदेह के घेरे में है.
विभाग संयोजक सौरभ यादव ने कहा कि पूर्व में एसबी सिन्हा कमीशन के किसी भी व्यक्ति को विश्वविद्यालय में अधिकारी और महाविद्यालय में प्राचार्य बनने पर रोक लगाया गया था और उनके महाविद्यालय उन्हें भेजा गया था. लेकिन वर्तमान कुलपति नियमों को ताक पर रखकर वरिष्ठ प्रोफेसर जिनके पास कई प्रशासनिक अनुभव और विश्वविद्यालय में पदाधिकारी के रूप में कार्य करने का भी लंबा अनुभव रहा है. वैसे सभी लोगों को दरकिनार करते हुए अनुभवहीन लोगों को छात्र कल्याण पदाधिकारी बना दिया गया जो कि नियम संगत कहीं से भी नहीं है. छात्र कल्याण पदाधिकारी के लिए प्रशासनिक दक्षता और प्रशासनिक कार्यों का अनुभव होना चाहिए.
प्रदेश कार्यकारिणी परिषद सदस्य आमोद आनंद ने कहा कि जानबूझकर छात्र छात्रों को कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारी के सारे पर वर्तमान कुलपति ने गुमराह होकर यह फैसला किया है जो कि कहीं से भी उचित नहीं है. ऐसे लोग जो पहले से ही दागदार है उन्हें विश्वविद्यालय में पदाधिकारी बनाकर वर्तमान कुलपति ने सबसे बड़ी गलती की है जिसके कारण उन्हें यह लोग हमेशा गुमराह करते रहते हैं ऐसे पदाधिकारी विश्वविद्यालय प्रशासन की छवि जानबूझकर खराब करना चाहते हैं. इस मौके पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रंजन यादव, अमोद आनंद, संजीव कुमार, शंकर कुमार, कृष्णकांत आदि उपस्थित रहे.
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