संविधान देश का मूल दस्तावेज, जो देता है हमें अपने अधिकारों की आजादी: डॉ. सारंग - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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26 नवंबर 2024

संविधान देश का मूल दस्तावेज, जो देता है हमें अपने अधिकारों की आजादी: डॉ. सारंग

मधेपुरा: वाम छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की बीएनएमयू इकाई द्वारा 'राष्ट्रीय संविधान दिवस' मनाया गया एवं सबों ने संविधान के प्रस्तावना की शपथ ली. मौके पर एसएफआई के बीएनएमयू प्रभारी डॉ. सारंग तनय ने कहा कि किसी भी देश का संविधान सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है, जो राष्ट्र का पथ प्रदर्शक होता है. भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया था. इस वर्ष संविधान को अंगीकार करने के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और देश 10वां संविधान मना रहा है. उन्होंने कहा कि संविधान के प्रस्तावना के पहले तीन शब्द "हम भारत के लोग" केवल शब्द नहीं है, ये एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है. संविधान वह आधारशिला है जिस पर भारतीय राष्ट्र खड़ा है और हर साल नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है. 
डॉ. सारंग तनय ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने 19 नवंबर 2015 को 26 नवंबर के दिन को राष्ट्रीय संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया. संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देश के हर नागरिक को हो,इसलिए इस दिन को संविधान दिवस मनाया जाता है. भारतीय संविधान को विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है. भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम 1935 को माना जाता है. 


उन्होंने कहा कि हमारा संविधान दुनियाभर के 60 लोकतांत्रिक देशों के संविधान का मिश्रण है. इसे तैयार करने में 2 वर्ष 11 महीना 18 दिन लगे. 26 नवंबर को हर साल देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है. 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को अपनाया गया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. डॉ. सारंग तनय ने कहा कि भारत के पहले कानून मंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर को 1947 में संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया, और उन्हें देश का नया संविधान लिखने की जिम्मेदारी दी गई. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान का पिता/जनक कहा जाता है. 

उन्होंने कहा कि एक संविधान किसी देश में शासन के लिए आधार प्रदान करता है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सभी के हितों और जरूरतों को ध्यान में रखा जाए. भारत एक विविधताओं का देश है. उन्होंने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले विशाल भारत देश में सैकड़ों भाषाएं, बोली, पहनावे, खान-पान और अन्य विविधताएं देखने को मिलती है. ऐसे में संविधान ही वह कड़ी है जो हर भारतवासी को एक समान पिरोती है. संविधान देश के हर नागरिक को एक समान अधिकार देता है और एक समान नियमों में बांधता भी है. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान, देश का सर्वोच्च कानून, मौलिक राजनीतिक संहिता, संगठनात्मक संरचना, संचालन प्रक्रियाओं और सरकारी संस्थानों की जिम्मेदारी के साथ साथ मौलिक अधिकारों, मार्गदर्शक सिद्धांतों और नागरिकों के कर्तव्यों को परिभाषित करने के लिए रूपरेखा स्थापित करता है. 


हमारे देश का मूल दस्तावेज है संविधान जो हमें अपने नागरिकों अधिकारों की आजादी देता है. भारतीय संविधान लचीलेपन और कड़कता का बैलेंस है. मौके पर मनोज आर्या,विद्या कुमारी, अंशु कुमारी, शिवानी कुमारी, साक्षी कुमारी, नेहा कुमारी, संजना कुमारी, खुशबू कुमारी, सरिता कुमारी, राजा कुमार, अंकित कुमार, दिव्यांशु कुमार, प्रिंस कुमार, अनीश कुमार, मनीष कुमार, उपलक्ष्य कुमार, चंदन कुमार, लक्ष्मण कुमार, सुमित कुमार आदि मौजूद रहे.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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