मुख्य अतिथि नैक के डायरेक्टर डॉ. प्रो. नरेश कुमार ने कहा कि निश्चित तौर पर संविधान दिवस हर भारतीयों के लिए बेहद प्रेरित करने वाला दिन है. उन्होंने सभी स्टूडेंट्स को संविधान के विभिन्न अनुच्छेद को समझने एवं पढ़ने के लिए प्रेरित किया. अस्सिस्टेंट प्रो. डॉ अर्पणा सिंह ने कहा कि संविधान की महत्ता या उपयोगिता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारे देश की सरकार एवं इसके समस्त नागरिक इस महत्वपूर्ण ग्रंथ के विविध उपबंधों को साकार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं. बीएनएमयू के पूर्व रिसर्च स्कॉलर डॉ. सारंग तनय ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने 19 नवम्बर 2015 को 26 नवंबर के दिन को राष्ट्रीय संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देश के हर नागरिक को हो, इसलिए इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला है.
मंच संचालन करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर सह यूएमआईएस नॉडल डॉ शशांक मिश्रा ने कहा कि संविधान दिवस की महत्ता एवं संविधान के विशिष्ट लक्षणों का वर्णन किया. उन्होंने बताया कि संविधान देश से राजनीतिक व्यवस्था के संचालन का एक प्रमुख मसौदा है इसकी निरंतरता, इसकी जीवंतता का प्रमाण है. उन्होंने प्रमुख संविधानों से भारतीय संविधान का एक तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए भारत की विविधता एवं विशालता का भी परिचय कराया. रिसर्च स्कॉलर राजेश कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान ही वह कड़ी है जो हर भारतीय को एक समान पिरोती है. कार्यालय सहायक यतीन्द्र कुमार मुन्ना ने कहा कि संविधान हमारा प्रवित्र ग्रंथ है. मौके पर दर्जनों स्टूडेंट्स मौजूद रहे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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