मधेपुरा 20/03/2018
गणगौर राजस्थान एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है.
इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं. पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं. मुरलीगंज प्रखंड में राजस्थानी महिलाओं द्वारा गणगौर पुजा का समापन गुरुवार को विधि-विधान के साथ कर दिया गया.
गणगौर पुजा को लेकर मुरलीगंज में आस्था प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ी उत्सव देखने को मिला. गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं. विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.
गणगौर पुजा विशेष कर राजस्थनी महिओं एवं लडकियों द्वारा मनाया जाता है. यह पुजा होली के दिन से ही प्रारंभ हो कर अगले 18 दिनों तक पुजा विधि विधान के साथ मनाया जाता है. होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 18 दिनों तक चलने वाला त्योहार है.
यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव ) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं ,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है.
गणगौर पूजन में कन्यायें और महिलायें अपने लिए अखंड सौभाग्य ,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं.
गणगौर राजस्थान एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है.
इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं. पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं. मुरलीगंज प्रखंड में राजस्थानी महिलाओं द्वारा गणगौर पुजा का समापन गुरुवार को विधि-विधान के साथ कर दिया गया.
गणगौर पुजा को लेकर मुरलीगंज में आस्था प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ी उत्सव देखने को मिला. गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं. विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.
गणगौर पुजा विशेष कर राजस्थनी महिओं एवं लडकियों द्वारा मनाया जाता है. यह पुजा होली के दिन से ही प्रारंभ हो कर अगले 18 दिनों तक पुजा विधि विधान के साथ मनाया जाता है. होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 18 दिनों तक चलने वाला त्योहार है.
यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव ) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं ,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है.
गणगौर पूजन में कन्यायें और महिलायें अपने लिए अखंड सौभाग्य ,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं.