संगीत के हर राग में रोग निरोधक क्षमता है - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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20 जून 2018

संगीत के हर राग में रोग निरोधक क्षमता है

मधेपुरा 
विश्व संगीत दिवस प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है. संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से ही विश्व में संगीत के नाम एक दिन है. यह संगीतज्ञों व संगीत प्रेमियों के लिए बहुत ही खुशी की बात है.
                               इसकी शुरुआत 1982 को फ्रांस में हुई इसको मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके से म्यूजिक का प्रोपेगैंडा तैयार करने के अलावे एक्सपर्ट व नए कलाकारों को एक मंच पर लाना था. 
संगीत समारोह
विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही फ़्राँस में पहली बार 21 जून सन् 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया. इससे पूर्व अमेरिका के एक संगीतकार योएल कोहेन ने 1976 में इस दिवस को मनाने की बात की थी. विश्व संगीत दिवस कुल 17 देशों में ही मनाया जाता है इसमें भारत, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, लक्समवर्ग, जर्मनी,स्विट्जरलैंड,कोस्टारीका,इजाराइल, चीन, लेबनाम, मलेशिया, मोरक्को, पाकिस्तान, फ़िलीपींस, रोमानिया और कोलम्बिया शामिल हैं.
                            विश्व संगीत दिवस के अलावा इसे सगीत समारोह के रूप में भी जाना जाता है. यह एक तरह से संगीत त्यौहार है, जिसे सारे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. भारत में इस अवसर पर कहीं संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है तो कहीं संगीत से भरे कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है.
संगीत का महत्त्व
संगीत सिर्फ सात सुरों में बंधा नहीं होता. इसे बांधने के लिए विश्व की सीमाएं भी कम पड़ जाती हैं. संगीत दुनिया में हर मर्ज की दवा मानी जाती है. यह दुखी से दुखी इंसान को भी खुश कर देती है, संगीत का जादू एक मरते हुए इंसान को भी खुशी के लम्हे दे जाता है. संगीत दुनिया में हर जगह है. अगर इसे महसूस करें तो दैनिक जीवन में
संगीत ही संगीत भरा है कोयल की कूक, पानी की कलकल, हवा की सरसराहट हर जगह संगीत ही तो है बस ज़रूरत है तो इसे महसूस करने की.
                        अपनी ज़िंदगी के व्यस्त समय से कुछ पल सुकून के निकालिए और महसूस कीजिए इस संगीतमय दुनिया की धुन को. संगीत मानव जगत को ईश्वर का एक अनुपम दैवीय वरदान है. यह न सरहदों में कैद होता है और न भाषा में बंधता है. माना हर देश की भाषा, पहनावा और खानपान भले ही अलग हों, लेकिन हर देश के संगीत में सभी सात सुर एक जैसे होते हैं और लय-ताल भी एक सी होती है.
                                        संगीत हर इंसान के लिए अलग मायने रखता है. किसी के लिए संगीत का मतलब अपने दिल को शांति देना है तो कोई अपनी खुशी का संगीत के द्वारा इजहार करता है. प्रेमियों के लिए तो संगीत किसी रामबाण या ब्रह्मास्त्र से कम नहीं.
राग में रोग निरोधक क्षमता
संगीतज्ञ प्रो. रामस्वरूप प्रसाद यादव के मुताबिक हर राग में रोग निरोधक क्षमता है. राग पूरिया धनाश्री अनिद्रा दूर करता है, तो राग मालकौंस तनाव से निजात दिलाता है. राग शिवरंजिनी मन को सुखद अनुभूति देता है. राग मोहिनी आत्मविश्वास बढ़ाता है. राग भैरवी ब्लड प्रेशर और पूरे तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित रखता है. राग पहाड़ी स्नायु तंत्र को ठीक करता है.
                               राग दरबारी कान्हड़ा तनाव दूर करता है तो राग अहीर भैरव व तोड़ी उच्च रक्तचाप के लिए कारगर है. दरबारी कान्हड़ा अस्थमा, भैरवी साइनस, राग तोड़ी सिरदर्द और क्रोध से निजात दिलाता है. एलोपैथी में इसे मान्यता नहीं है. एलोपैथी के मुताबिक संगीत से रोग दूर नहीं होते. हालांकि व्यावहारिक रूप से कई लोगों को संगीत सुनने या पढ़ने से नींद आ जाती है.

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