पटना
शुक्रवार को एनआईटी घाट पटना में परिकल्पना मंच के द्वारा लेखक गुरु शरण सिंह की रचना एवं सुभाष कुमार द्वारा निर्देशित नाटक इंकलाब जिंदाबाद की प्रस्तुति की गई.
नाटक को देख मौजूद लोगों ने भूरी - भूरी प्रशंसा की. यह नाटक गुलाम भारत और अंग्रेज सरकार की हुकूमत से देश के आज़ाद होने तक की कहानी है. आज़ादी का क्या मतलब होता है इसका चित्रण किया गया.
क्रांतिकरी भगत सिंह और उनके साथियों ने जो देश के लिए अपनी कुर्बानी दी उसके बाद हर भारतवासी उनके रास्ते पर चलकर देश को एक अलग क्रंति की राह दे दी. आज़ादी के 71 साल बाद भी देश कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है.
12 से 16 घण्टे की जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी मज़दूर भर पेट भोजन नहीं कर पाता और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं दे पाता है. हिंदुस्तान आज भी जंजीरों में जकड़ा हुआ प्रतीत होता है. आज भी युवा वर्ग संघर्षरत हैं. नाटक में दीपक कुमार, दिग्विजय तिवारी, प्रद्युम्न, कुश, निशांत, विवेक ने जीवंत अभिनय किया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
शुक्रवार को एनआईटी घाट पटना में परिकल्पना मंच के द्वारा लेखक गुरु शरण सिंह की रचना एवं सुभाष कुमार द्वारा निर्देशित नाटक इंकलाब जिंदाबाद की प्रस्तुति की गई.
नाटक को देख मौजूद लोगों ने भूरी - भूरी प्रशंसा की. यह नाटक गुलाम भारत और अंग्रेज सरकार की हुकूमत से देश के आज़ाद होने तक की कहानी है. आज़ादी का क्या मतलब होता है इसका चित्रण किया गया.
क्रांतिकरी भगत सिंह और उनके साथियों ने जो देश के लिए अपनी कुर्बानी दी उसके बाद हर भारतवासी उनके रास्ते पर चलकर देश को एक अलग क्रंति की राह दे दी. आज़ादी के 71 साल बाद भी देश कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है.
12 से 16 घण्टे की जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी मज़दूर भर पेट भोजन नहीं कर पाता और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं दे पाता है. हिंदुस्तान आज भी जंजीरों में जकड़ा हुआ प्रतीत होता है. आज भी युवा वर्ग संघर्षरत हैं. नाटक में दीपक कुमार, दिग्विजय तिवारी, प्रद्युम्न, कुश, निशांत, विवेक ने जीवंत अभिनय किया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)