नहीं रहें शिक्षाविद डॉ० शिवनारायण यादव - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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5 जनवरी 2022

नहीं रहें शिक्षाविद डॉ० शिवनारायण यादव

मधेपुरा: शिक्षा के क्षेत्र से जीवन के सफर की शुरुआत करनेवाले डॉ० शिवनारायण बाबू सर्वप्रथम टीपी कॉलेज, मधेपुरा में डेमोक्ट्रेटर के रूप में योगदान दिए. शिक्षा के साथ-साथ राजनीति के क्षेत्र में भी इनकी खासी दिलचस्पी थी व उस समय 90 के दशक में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ० जगन्नाथ मिश्र से इनके आपसी संबंध काफी प्रगाढ़ थे. राजनीति के क्षेत्र में बेहद अभिरुचि होने के कारण डेमोक्ट्रेटर पद से इस्तीफा देते हुए सिंहेश्वर विधानसभा से प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर्चा दाखिल कर राजनीति में प्रवेश किए जिस समय उनका मुकाबला पूर्व सांसद पप्पू यादव से रहा हालांकि 90 के उस दशक में चुनाव जीत पाने सफलता नहीं मिल पाई करीब 5 वर्षों तक राजनीति में रहने के बाद पुनः शिक्षा के क्षेत्र में वापसी करते हुए वर्ष 1996 में आरएम कॉलेज, सहरसा में प्राचार्य के रूप में अपना योगदान दिए करीब 12 वर्षों तक सेवा देने के बाद बीएनएमयू में कुलानुशासक के रूप में अपना योगदान दिए कुल एक वर्ष तक सेवा देने के बाद कुलानुशासक से सेवानिवृत्त हुए.  
इस बीच दिनांक-29-12-2012 को उनकी धर्मपत्नी सत्यभामा देवी का देहांत हो गया. अपनी धर्मपत्नी के पुण्यतिथि पर वो गरीब-असहाय लोगों के बीच कम्बल वितरण करते थे तथा सभी पर्व-त्योहारों में गरीब-अनाथ बच्चों के बीच वस्त्र,मिठाईयां व पैसे वितरण किया करते थे. वर्ष 2014 में रामनवमी पर्व के अवसर पर अपने ग्राम सिंगिओन में रुक्मा देवी ठाकुरबाड़ी मंदिर का निर्माण किए. कुछ वर्षों बाद वर्ष 2016 में बीएनएमयू द्वारा उन्हें बतौर लीगल एडवाइजर बनाया गया परन्तु इसी बीच उनके बड़े सुपुत्र डॉ० शंभु कुमार का 15 सितंबर 2016 को देहांत हो गया जिस कारण गहरे पुत्रशोक के चलते उन्होंने लीगल एडवाइजर से इस्तीफा देते हुए अपने गाँव आकर छोटे पुत्र संजय कुमार यादव(प्रखंड साधन सेवी,उदाकिशुनगंज) सहित परिवार के सभी सदस्यों के बीच ही अपना समय देने लग गए. 

इनके छोटे पुत्र संजय कुमार द्वारा हमेशा से ही अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने काम किया गया साथ ही डॉ० शिवनारायण बाबू के चारों पौत्र शुभम, सिद्धांत, शाश्वत और शिवांशु ने बातचीत के दौरान अपने दादाजी के देहांत को सम्पूर्ण परिवार सहित पूरे ग्रामवासियों व कोशी इलाके के लिए अपूरणीय क्षति बतलाते हुए सदा अपने आदर्श दादाजी एवम् पिताजी के द्वारा बताए गए नेक रास्तों पर चलने की बात कही है.
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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