डेस्क: सहरसा में भूमि विवाद के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. प्रतिदिन भूमि विवाद के कारण थाना में दो दर्जन लोग पहुंचते हैं. हालांकि कुछ मामलों में कार्रवाई होती है मगर, कई मामले महीनों तक फाइलों में सिमटा रह जाता है. नतीजतन जनता दरबार का भी इसपर असर नहीं हो रहा है. परिणाम है कि बढ़ते भूमि विवाद के पीछे अंचल कार्यालय और भू-माफिया के गठजोड़ को लोग मुख्य वजह मान रहे हैं. सदर थाना की बात करें तो सुबह होते ही लोग भूमि विवाद को लेकर थाना पहुंचने लगते हैं. कोई जमीन पर जबरन घर बनाने, कोई चहारदिवारी देने को लेकर तो कोई न्यायालय द्वारा आदेश मिलने के बाद जमीन पर निर्माण नहीं करने देने की शिकायत लेकर पहुंचते हैं.
कुछ मामले में तो पुलिस गश्ती दल को भेजकर कार्रवाई करती है. जबकि कई मामलों में पुलिस भी सुस्त पड़ जाती है. भूमि विवाद में हर माह रंगदारी का एक दर्जन मामला दर्ज हो रहा है. जिसमें मारपीट कर छिनतई का भी आरोप लगाया जाता है. कई बार तो मारपीट व गोलीबारी की घटना भी हो चुकी है. जबकि भू-माफिया पुलिस से लेकर अंचल तक सेटिग की बात कहकर कई जमीन पर कब्जा भी जमा लेते हैं. जिनकी जमीन रहती है वो बस आवेदन लेकर वरीय अधिकारी से कोर्ट तक का चक्कर लगाते रहते हैं. नतीजा कुछ नहीं निकल पाता है.
बिहार सरकार के राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने 24 फरवरी को शहर के एक दर्जन भू माफिया को चिह्नित करने का दावा करते हुए आयुक्त व डीआइजी स्तर से कार्रवाई कराने की बात कही थी. नया बाजार के पवन कुमार द्विवेदी ने शिकायत मंत्री से की थी. जिसपर मंत्री ने आक्रमक तेवर दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया मंत्री के दावे के ढ़ाई माह से अधिक गुजर जाने के बाद भी किसी भी भू माफिया पर कार्रवाई नहीं हो सकी. सूत्रों की मानें तो कई रसूखदार लोग भू-माफिया हैं. जिनकी पुलिस से भी खूब बनती है. जबकि इन्हें राजनीतिक नेताओं का संरक्षण भी मिलता है.
जिस कारण पुलिस ऐसे भू-माफिया पर हाथ नहीं डालती है. कई भू-माफिया तो साहबों के नाम का भी इस्तेमाल करने में गुरेज नहीं करते हैं. नित्य पनप रहे भू-माफिया की संख्या शहर में दो दर्जन से अधिक हैं. भू-माफिया कुछ असामाजिक तत्वों को रखते हैं जिनके माध्यम से फर्जी कागजात के आधार पर जमीन पर दखल कर लेते हैं. बाद में उसे ऊंचे दामों में बेचते हैं. यही नहीं तीन-चार ऐसे गैंग हैं तो पैसे लेकर दूसरे की जमीन पर कब्जा भी दिलाते हैं.
(रिपोर्ट:- अमीर आजाद)
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