मधेपुरा: देश के पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक सच्चे भारतीय थे. उनकी सादगी, विनम्रता एवं कर्तव्यनिष्ठा हम सबों के लिए प्रेरणादायी है. यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डा. कैलाश प्रसाद यादव ने कही. वे बुधवार को महाविद्यालय के स्मार्ट क्लास रूम में डॉ. कलाम की 8वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे. 'जो करेंगे मधेपुरा को गौरवान्वित' कार्यक्रम के तहत यह आयोजन टी. एन. बी. ट्रस्ट, मधेपुरा के तत्वावधान में किया गया. उन्होंने कहा कि कलाम ने रामेश्वरम् से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा की. उनकी यह यात्रा शून्य से शिखर की यात्रा है.
वे अति साधारण परिवार में पैदा हुए, लेकिन अपने संघर्षों के दम पर वे असाधारण महापुरुष बन गए. उनका संपूर्ण जीवन हम सबों के लिए प्रेरणादायी है. आज उनके जीवन-दर्शन पर शोध की जरुरत है. उन्होंने कहा कि हम कलाम के आदर्शों को जीवन में अपनाएँ, तो यह आयोजन सार्थक होगा. इस अवसर पर ट्रस्ट के सचिव समाजसेवी साहित्यिकार प्रोफेसर डाॅ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि कलाम के मन में शिक्षक के प्रति असीम आदर एवं सम्मान था और वे शिक्षक के पद को राष्ट्रपति से भी बड़ा मानते थे. यही कारण है कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे हमेशा शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से जुड़े रहे. उन्होंने कहा कि कलाम का संदेश है कि सोते हुए रात्रि में सपना नहीं देखें, बल्कि जागते हुए सपना देखें.
कभी भी एक लक्ष्य की प्राप्ति के बाद रुकें नहीं, बल्कि हमेशा आगे बढ़ते रहें. हमेशा अपना लक्ष्य बड़ा रखें, क्योंकि छोटा लक्ष्य अपराध है. मुख्य अतिथि जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार ने कहा कि कलाम ने देश की राजनीति को नई दिशा दी है. आज भी देश को कलाम जैसे राजनेताओं की जरूरत है. विशिष्ट अतिथि जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कलाम जाति-धर्म की सीमाओं से परे थे. उनका जीवन-दर्शन हमारे लिए अनुकरणीय है. शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. जावेद अहमद ने कहा कि कलाम का बचपन काफी संघर्ष में गुजरा.
हर्षवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि कलाम वे यह मानते थे कि जो दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, उनका ही जीवन सार्थक होता है. धाविका ललिता के कोच शंभु कुमार ने बताया कि ललिता ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और मधेपुरा का नाम रौशन किया. कबड्डी संघ के सचिव अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय की खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए कोचिंग की समुचित व्यवस्था करने की जरुरत है. इस अवसर पर डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, शिवनंदन, छोटेलाल, अमित कुमार, डाॅ. मिथिलेश कुमार, कुंजन लाल पटेल, मो. नदीम, डाॅ. अशोक कुमार अकेला, विवेकानन्द, सौरभ कुमार चौहान, डेविड यादव आदि उपस्थित थे. इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों ने कलाम के चित्र पर पुष्पाजलि की. दिनों पुरस्कार विजेताओं को अंकशास्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)