मधेपुरा: हाई कोर्ट पटना द्वारा सीडब्लयूजे केस संख्या 55/26/2021 पर संज्ञान लेते हुए तत्काल बीएनएमयू में सत्र 2020 -22 के बी एड रिजल्ट प्रकाशन पर रोक लगा दिया है।इस पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है और कहा कि विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में 25से 31 दिसम्बर तक चली ऑन स्पॉट एडमिशन में कोर्ट के आदेश व रोस्टर की अवहेलना करते हुए एवम् सीट से ज्यादा नामांकन पर गंभीरता नहीं दिखाना आज तेरह सौ छात्रों के रिजल्ट पर ग्रहण लगने का कारण बन गया.
वाम छात्र नेता राठौर ने कहा कि बीएनएमयू परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में हुई गड़बड़ी पर अगर बनी जांच कमिटी निर्धारित समय पर जांच रिपोर्ट जमा करती और विश्वविद्यालय दोषियों पर कारवाई कर लेता तो आज यह नौबत नहीं आती मो शाहबाज अहमद नामक पीड़ित छात्र ने दर्जनों आवेदन देकर आरोप लगाया कि एडमिशन की सारी प्रक्रिया पूरी कर फीस जमा करने के बाद भी उनके जगह उनसे बहुत कम अंक वाले का नामांकन ले लिया गया. लगातार न्याय की मांग के बाद भी जब कोई पहल नहीं हुई तब विवश होकर मो शाहबाज अहमद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और न्याय की गुहार लगाई. जिसपर कोर्ट ने गम्भीरता दिखाते हुए विश्वविद्यालय को तलब किया है और बीएनएमयू कुलसचिव को 19 सितम्बर को होने वाली अगली सुनवाई में ऑन स्पॉट एडमिशन से जुड़े रिपोर्ट,छात्रों के फोटो, हस्ताक्षर युक्त रजिस्टर, फीस जमा की कॉपी और एकाउंट स्टेटमेंट सहित उपस्थित होने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने बिना कोर्ट के आदेश के बीएड रिजल्ट पर रोक लगा दिया है. राठौर ने कहा कि आज एकमात्र बीएनएमयू परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में हुई धांधली के कारण तेरह सौ छात्रों के रिजल्ट पर रोक अत्यन्त दुखद है. अगर 9 जनवरी 2021को हुई सिंडिकेट की बैठक के फैसले के आलोक में बनी 11 फ़रवरी 2021 की जांच कमिटी ने दस दिन के जगह डेढ़ साल से ज्यादा समय लेकर भी जांच रिपोर्ट जमा करते हुए दोषियों पर कारवाई न कर पाने की अक्षम्य करतूत न की होती तो आज यह हालात नहीं होताा.
राठौर ने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश एवम् रोस्टर की अनदेखी व सीट से ज्यादा नामांकन के दोषियों को बचाने में बीएनएमयू ने तेरह सौ छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दिया है. इससे यह साफ है कि वरीय पदाधिकारियों के छात्र हित के भाषण मात्र छलावा हैै. राठौर ने मांग किया कि अविलंब विश्वविद्यालय इस मामले को कोर्ट में सुलझाए और तेरह सौ छात्रों के प्रभावित रिजल्ट के प्रकाशन का रिजल्ट साफ करे. वहीं राठौर ने आगामी सिंडिकेट बैठक में भी सदस्यों को इस मामले पर बहस की मांग की है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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