कमिटियों के गठन,फंड तय कर भी नहीं प्रकाशित कर सका बीएनएमयू अपना जर्नल
विश्वविद्यालय के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण जर्नल प्रकाशन के नाम पर कमिटियां बनी बीएनएमयू संवाद पत्रिका, बीएनएमयू संगम स्मारिका, बीएनएमयू कल आज और कल पुस्तक के प्रकाशन के मद में पैसों का निकासी का आदेश भी जारी हुआ एवम् कई राउंड बैठकों का सिलसिला चला लेकिन एक अदद अंक तक नहीं निकल पाया और वर्तमान हालात देखते हुए इस साल तक निकलने की संभावना भी नहीं है.
एकेडमिक सीनेट ,समय पर नामांकन, परीक्षा, परिणाम का इंतजार जारी
गतिविधियों को बढ़ाने व माहौल समृद्ध करने के लिए बीएनएमयू के प्रथम एकेडमिक सीनेट कराने के वर्तमान कुलपति का वादा वादा तक ही सीमित रहा मासिक सिंडिकेट का संकल्प कुछ दूर भी नहीं बढ़ पाया. कर्मचारियों के वेतन का मामला लंबे समय तक बीएनएमयू की गलती से कोर्ट में लटकना, यूएमआईएस की हरकत के कारण नामांकन व परिणाम में लगातार आई दिक्कतें पदाधिकारियों की कार्यकुशलता पर प्रश्न चिन्ह बनेे. यहीं शिक्षक, प्रधानाचार्य, डीन, परीक्षा नियंत्रक व अन्य पदों की सेवा के बाद कुलपति बनने से सबको बड़ी उम्मीद जगी थी कि अब बीएनएमयू का कायाकल्प जरूर होगा जो दो साल के कार्यकाल में इने गुने मामलों को छोड़ व्यापक स्तर पर नजर नहीं आयाा.
अन्य कुलपतियों के बनिस्पत सर्वाधिक समय मुख्यालय में देने के बाद भी फाइलों का निस्पादन धीमा रहा पदाधिकारी बेलगाम होते गए और उनकी मनमानी बढ़ती रही. दो साल के कार्यकाल के उपलब्धियों में शामिल बीएनएमयू का चौथा दीक्षांत समारोह सबको पीठ सहलाने की चाहत में कुलाधिपति सह राज्यपाल का बीच दीक्षांत में विरोध का कारण उपलब्धि के साथ विवादास्पद भी हुआ जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए वो कम है. समय पर नामांकन, परीक्षा व परिणाम वर्तमान कुलपति के दो साल के कार्यकाल में भी एक सूत्री संकल्प का हिस्सा न बना. आधा सत्र गुजर जाने के बाद भी स्नातक प्रथम खंड की चयन सूची प्रकाशित नहीं होना नियमित सत्र को ठेंगा दिखा रहा है दूसरी तरफ शैक्षणिक माहौल के नाम पर फर्जी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार की बाढ आई छात्रों का शोषण जमकर हुआ.
नैक के नाम पर बैठकों व कमिटियों के गठन जारी हैं लेकिन परिणाम का छोटा स्वाद तक नसीब न हो पायाा. बीएड संस्थान व लॉ कॉलेज की मान्यता रद्द होना, स्थापना के तीन दशक बाद भी अपना जर्नल, पत्रिका, हॉस्टल, अवॉर्ड नहीं होने के बाद भी नैक मान्यता के पहल को ढोंग बताते राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय पहले अपनी प्रारम्भिक जरूरतों को पूरा करें अन्यथा नैक का पहल सिर्फ दिखावे तक ही रह जाएगा. पत्रकारिताा, नाट्य शास्त्र की पढ़ाई शुरू करवाने की ईमानदार पहल नजर नहीं आई. कुल मिलाकर छ माह का ही समय वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में कुछ करने को शेष बचा है क्योंकि आखिरी छ माह में कई तरह की बंदिशे लग जाती हैं. यह दिलचस्प होगा कि विभिन्न स्तरों पर किए अपने वादों में कितने अधूरे वादे को मूर्त रूप दे पाएंगे वर्तमान कुलपति.
(रिपोर्ट:- ईमेल)