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6 दिसंबर 2022

बीएनएमयू में हालात सुधारने के बजाय, चादर, बुके, लजीज व्यंजनों के आंनद में डूबकी शर्मनाक

मधेपुरा: बीएनएमयू में एक ओर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा दूसरी ओर सारे वरीय पदाधिकारी इसको निपटाने के बजाय सोमवार को एक निजी महाविद्यालय में चादर, बुके, महंगे उपहार बटोरने के साथ लजीज व्यंजनों के आंनद लेने में लीन थे।इस पर एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कुलाधिपति सह राज्यपाल को पत्र लिख शिकायत करते हुए इस पर संज्ञान लेने की मांग की है. कुलाधिपति सह राज्यपाल को लिखे पत्र में एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन में रोस्टर की अनदेखी, सीट से अधिक नामांकन प्रकरण पर बीएनएमयू को दोषी मानते हुए हाई कोर्ट के पांच लाख के जुर्माना, दोषियों पर कार्रवाई, पीड़ित छात्र को मुवावजा वाला अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला अभी गरमाया ही है, सहरसा में हिंदी पीजी विभाग में ऑन स्पॉट एडमिशन में छ सीट बेचने का मामला उग्र आंदोलन का रूप लेता जा रहा है, सोमवार को बीएनएमयू का दोनों परिसर विभिन्न स्तरों पर आंदोलनमय रहा. 

लेकिन दूसरी तरफ कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलानुशासक, कुलसचिव सहित अन्य वरीय पदाधिकारी इन सारे गम्भीर हालात को दरकिनार कर एक निजी महाविद्यालय में महंगे, चादर, बुके उपहार प्राप्त करने के साथ बिरयानी व लजीज व्यंजन के लुत्फ उठाने में मशगूल रहे जो दुखद ही नहीं शर्मनाक है ज्ञातव्य हो सरकारी कॉलेजों में जाने के प्रति इतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती क्योंकि वहां लजीज व्यंजनों व महंगे उपहारों की संभावना प्राय कम ही रहती है. दूसरी ओर किसी भी हालात में मुख्यालय को सारे पदाधिकारी एक साथ खाली नहीं कर सकते क्योंकि इससे विधि व्यवस्था संचालन पर सीधे प्रभाव पड़ता है. 

राठौर ने कहा कि आलम तो यहां तक रहा कि पदाधिकारियों के साथ कई कर्मचारी भी विभाग से गायब रहे जिससे सैकड़ों की संख्या में विभिन्न कामों को ले विश्वविद्यालय आए छात्रों को वापस लौटना पड़ा. पत्र में राठौर ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि बीएड प्रकरण पर कोर्ट के फैसले व पीजी हिंदी ऑन स्पॉट एडमिशन में सीटों की बिक्री का मामला इतना गम्भीर हो गया है कि विभिन्न छात्र संगठनों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दे दी है. पदाधिकारियों पर कारवाई को लेकर आंदोलन का शंखनाद भी हो चुका है सोमवार को पूरी तरह बेकाबू हुआ बीएनएमयू परिसर इसका प्रमाण रहा. ऐसे में पदाधिकारियों को हालात की गम्भीरता समझ त्वरित पहल के बजाय चादर, बुके, लजीज व्यंजनों व बिरयानी का आंनद लेना दिखाता है कि वरीय पदाधिकारी अपने जिम्मेदारी के प्रति गम्भीर नहीं हैं. 

एआईएसएफ की तरफ से राठौर ने कुलाधिपति सह राज्यपाल से आग्रह किया है कि ऐसे पदाधिकारियों पर वस्तुस्थिति की जानकारी लेते हुए कारवाई करते हुए अपने जिम्मेदारी के प्रति मुस्तैद रहने का निर्देश जारी किया जाए. कुलाधिपति को भेजे पत्र के साथ राठौर ने सम्बन्धित साक्ष्य भी भेजा है. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 

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