उन्होंने बताया कि डॉ. चौधरी ने अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत सितंबर 1981 में पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा में व्याख्याता के रूप में की. आप 1994 में रीडर और 2006 से प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत हुए. अपने 41 वर्षों के लंबे कार्यकाल में आपने विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के आयक्ष सहित कई महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है. उन्होंने बताया कि डॉ. चौधरी हिंदी के अलावा अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं रुसी भाषा के जानकार हैं. आपने अब तक कुल 45 पुस्तकों की रचना की है. इनमें डेढ़ दर्जन काव्य, नाटक, आलोचना आदि से संबंधित पुस्तकें शामिल हैं. आपने कोसी अंचल के लोक साहित्य पर विषद अध्ययन किया है.
कृति नारायण मंडल से संबंधित उनकी दो पुस्तकें कोसीपुत्र (प्रबंध काव्य) एवं दधिचि की हड्डी (नाटक) काफी लोकप्रिय रही है. इस अवसर पर अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ. राजकुमार सिंह, कुलानुशासक डॉ. बीएन विवेका, कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर, आईक्यूएसी निदेशक डॉ. नरेश कुमार, जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार, साहित्यकार डॉ. मणिभूषण वर्मा, उपकुलसचिव स्थापना डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. विजय यादव, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान आदि उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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