वक्त ही सबको समझता है,मतलब रहा तो तुम हमारे हुए।
संवाद में प्रेम धार है बरसता,
मुलाकात में कुशल हाल पूछता,
फिजूल बातों में रस सा दिखता,
यह मीत तो स्वार्थ से सारे हैं।
क्यों तुम किसी के दुलारे हुए, क्यों तुम किसी के प्यारे हुए।
वक्त ही सबको समझता है, मतलब रहा तो तुम हमारे हुए।
अपने -अपने मनसूबों को दिल में संभाले,
जब दिखते कदम ताल में ताल मिलाते,
मत सोच यह जोड़ी क्या खूब है जंचती।
होता पूरा इरादा चेहरा का रंग बदलती।
क्यों तुम किसी के दुलारे हुए, क्यों तुम किसी के प्यारे हुए।
वक्त ही सबको समझता है,मतलब रहा तो तुम हमारे हुए।
भाव देखो शब्द के कैसे बदले,
हैरान न हो तुम रंग चेहरे के बदले,
यह बहरूपिया दुनिया की रीत यही है,
लोभ के लिए हद पार करते जीत यही है।
क्यों तुम किसी के दुलारे हुए, क्यों तुम किसी के प्यारे हुए।
वक्त ही सबको समझता है, मतलब रहा तो तुम हमारे हुए।
(कल्पना सागर:- डॉ. अनुजा अमेरी)
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