मधेपुरा: बीपीएससी शिक्षक बहाली के प्रथम चरण में गड़बड़ी की पोल खुलने लगी है. शिक्षक बहाली को लेकर प्रथम चरण में 60 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले बीपीएससी दूसरे राज्य के शिक्षकों पर गाज गिर सकती है. इसकी जद में जिले के 347 शिक्षकों की पहचान की गयी है. आलमनगर प्रखंड से 30, बिहारीगंज से 12, चौसा से 17, गम्हरिया से 27, घैलाढ़ से 31, ग्वालपाड़ा से 21, कुमारखंड से 34, मधेपुरा सदर से 40, मुरलीगंज से 40, पुरैनी से 22, शंकरपुर से 19, सिंहेश्वर से 25 और उदाकिशुनगंज से 29 शिक्षकों को जांच के लिए बुलाया गया है. डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन के लिए मधेपुरा अनुमंडल अंतर्गत कार्यरत चिन्हित शिक्षकों का 9 जुलाई को और उदाकिशुनगंज अनुमंडल में कार्यरत शिक्षकों को 10 जुलाई को सभी कागजात जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में फोल्डर के साथ जमा करना आवश्यक है.
कागजात में खासकर सीटेट का अंकपत्र एवं सभी प्रमाण पत्र, जाति, आवासीय प्रमाण पत्र, आधार नंबर, पेन कार्ड सहित मूल प्रति एवं एक प्रति सभी प्रमाण पत्रों का अभिप्रमाणित छाया प्रति फोल्डर फाइल में देकर जांच के लिए संबंधित अभ्यर्थी उपस्थित रहेंगे. बताया गया कि इस मामले का खुलासा तब हुआ जब उत्तरप्रदेश राज्य की एक महिला शिक्षक अभ्यर्थी को सिवान में सीटेट में 60 प्रतिशत (90 अंक से कम) अंक पर नियुक्ति पत्र देने से रोक दिया था. उसने इस मामले को पटना हाईकोर्ट ले गयी और दावा किया कि 90 प्रतिशत से कम अंक पर उनके ही राज्य के अन्य अभ्यर्थियों को अन्य जिले में नियुक्ति पत्र दिया गया है. पटना हाईकोर्ट ने जब इसका जवाब शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग से मांगा तो शिक्षा विभाग ने टीआरई वन में वर्ग एक से पांचवीं में सीटेट और बीटेट पेपर वन में बहाल हुए 60 प्रतिशत यानी 90 अंक से कम अंक वाले सामान्य श्रेणी व दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों का डॉक्यू मेंट वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया.
ज्ञातव्य हो कि अभी दूसरे राज्य के लोगों के दिमाग में पहले वाले बिहार की तस्वीर बनी हुई है. जब लोग फर्जीबारा और गलत करने के बाद भी उन पर किसी प्रकार की कोई कारवाई नहीं होती थी. यही कारण है कि लोग हाल में हुए बीपीएससी शिक्षक की बहाली में पूरे राज्य में सैकड़ों लोग फर्जीबारा तरीके से शिक्षक बन गए हैं. यह देखना बड़ा है दिलचस्प होगा कि ऐसे लोगों पर सरकार क्या कार्रवाई करती है.
(रिपोर्ट:- मोहन कुमार)
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